
राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में भी भीषण लू और गर्म मौसम के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
स्काइमेट वेदर और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने वर्ष 2025 के लिए मानसून और मौसम का पूर्वानुमान जारी कर दिया है। दोनों रिपोर्ट्स में संकेत दिए गए हैं कि इस बार मानसून सामान्य रहेगा, लेकिन अप्रैल में देश के कई हिस्सों, खासकर दिल्ली-एनसीआर और उत्तर-पश्चिम भारत में भीषण गर्मी और लू लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं। इसके साथ ही, कुछ क्षेत्रों में तूफानी बारिश की भी संभावना जताई गई है।
अप्रैल में गर्मी का कहर
IMD की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल के मध्य तक दिल्ली-एनसीआर में अधिकतम तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, जो सामान्य से 5-6 डिग्री अधिक है। कमजोर हवाओं और उच्च आर्द्रता के कारण उमस और लू की स्थिति और गंभीर हो सकती है। दिल्ली के अलावा, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी का प्रकोप रहेगा। IMD ने इन राज्यों के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अप्रैल के अंतिम सप्ताह में दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा में धूल भरी आंधी और हल्की तूफानी बारिश की संभावना है। हालांकि, यह बारिश गर्मी से राहत देने के बजाय मौसम को और अधिक उमस भरा बना सकती है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञ महेश पलावत ने बताया कि गर्मी और उमस के कारण बिजली की मांग में 15-20% की वृद्धि हो सकती है, जिससे ग्रिड पर दबाव बढ़ेगा।
मानसून 2025: सामान्य बारिश की उम्मीद
स्काइमेट वेदर के अनुसार, 2025 में मानसून दीर्घकालिक औसत (LPA) का 103% रहेगा, जो सामान्य की श्रेणी में आता है। इस साल एल-नीनो और ला-नीना की स्थिति न्यूट्रल रहने की उम्मीद है, जो मानसून के लिए अनुकूल संकेत है। जुलाई और अगस्त में देश के अधिकांश हिस्सों में अच्छी बारिश होने की संभावना है, जो खेती और जल संसाधनों के लिए लाभकारी होगी।
क्षेत्रीय पूर्वानुमान
- मध्य और दक्षिण भारत: महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा और केरल में इस बार सामान्य से बेहतर बारिश की उम्मीद है। इन राज्यों में खरीफ फसलों की बुवाई को मजबूती मिलेगी।
- पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्य: मेघालय, सिक्किम, असम और उत्तराखंड जैसे राज्यों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। इससे इन क्षेत्रों में जल संकट और कृषि पर असर पड़ सकता है।
- उत्तर-पश्चिम भारत: दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पंजाब में मानसून सामान्य रहेगा। हालांकि, बारिश का वितरण असमान हो सकता है, जिससे कुछ इलाकों में सूखे जैसे हालात बन सकते हैं।
कृषि और जनजीवन पर प्रभाव
जुलाई-अगस्त में होने वाली अच्छी बारिश से खरीफ फसलों जैसे धान, मक्का, सोयाबीन और दालों की बुवाई को बल मिलेगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था, जो काफी हद तक मानसून पर निर्भर है, को इससे राहत मिलने की उम्मीद है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसार, सामान्य मानसून से 2025 में खाद्यान्न उत्पादन में 3-4% की वृद्धि हो सकती है।
वहीं, अप्रैल की गर्मी स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर दबाव डालेगी। गर्मी से संबंधित बीमारियों जैसे हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन के मामले बढ़ सकते हैं। विशेषज्ञों ने लोगों को सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक बाहर निकलने से बचने और पर्याप्त पानी पीने की सलाह दी है।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की अनिश्चितता बढ़ रही है। अप्रैल में अत्यधिक गर्मी और जून में देरी से मानसून का आगमन इसका उदाहरण है। IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा, “हमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए दीर्घकालिक उपाय करने होंगे।”