बिहार सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन “आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत” के तहत राज्य के मत्स्य उद्योग को नई ऊर्जा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है।
बिहार सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए “फिश फीड मील विद्युत सहायता योजना” की घोषणा की है। इस योजना के तहत मछली चारा (फिश फीड) बनाने वाली मिलों को उनके बिजली बिल पर सीधी आर्थिक मदद दी जाएगी।
मोदी सरकार की प्राथमिकता रही है कि किसान और ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े सभी वर्ग आत्मनिर्भर बनें। इसी कड़ी में बिहार सरकार की यह पहल मछली पालन उद्योग को मजबूती देने के साथ-साथ किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को राहत पहुंचाएगी।
योजना की मुख्य विशेषताएं
- फिश फीड मिल संचालकों को उनकी मासिक बिजली खपत के आधार पर सहायता दी जाएगी।
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हर यूनिट पर 3 रुपये की दर से आर्थिक मदद मिलेगी।
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100 टन प्रतिदिन क्षमता वाली फिश फीड मिल को अधिकतम 2 लाख रुपये प्रतिमाह और 24 लाख रुपये सालाना तक सहायता प्राप्त हो सकती है।
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इस सहायता में केवल उपभोग की गई यूनिट को शामिल किया जाएगा, फिक्स्ड चार्ज और अतिरिक्त शुल्क इसमें नहीं गिने जाएंगे।
किनको मिलेगा लाभ
राज्य में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) के तहत अब तक 53 फिश फीड मिलें स्थापित की गई हैं। यह नई विद्युत सहायता योजना इन्हीं मिल संचालकों को सीधा फायदा देगी। योजना का लाभ 31 मार्च 2025 तक स्थापित उन फिश फीड मिलों को मिलेगा जिनकी उत्पादन क्षमता 2 टन, 8 टन, 20 टन और 100 टन प्रतिदिन है।
आवेदन की प्रक्रिया
योजना का लाभ उठाने के लिए पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। इच्छुक मिल संचालकों को विभाग की वेबसाइट https://fisheries.bihar.gov.in पर आवेदन करना होगा। आवेदन की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 तय की गई है।
किसानों और उद्योग के लिए राहत
बिहार सरकार की फिश फीड मील विद्युत सहायता योजना से राज्य का मत्स्य व्यवसाय आधुनिकता की ओर अग्रसर होगा। बिजली लागत में राहत मिलने से उत्पादकता बढ़ेगी, फिश फीड निर्माण लागत कम होगी और इससे मछली पालकों को सस्ती दर पर चारा उपलब्ध हो पाएगा। इसका सीधा लाभ छोटे एवं बड़े किसान, ग्रामीण समुदाय और राज्य के उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा। सस्ती लागत पर उत्पादन होने से मछली उत्पादन और बिक्री में वृद्धि होगी, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था और रोजगार में मजबूती आएगी.
अर्थव्यवस्था और रोजगार पर असर
यह योजना सिर्फ फीड मिल संचालकों के लिए राहत नहीं है, बल्कि इसका असर पूरे ग्रामीण तंत्र पर पड़ेगा।
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मछली पालन बढ़ने से रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
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ग्रामीणों और छोटे किसानों को कम लागत पर मछली पालन का अवसर मिलेगा।
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बिहार की मत्स्य उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और राज्य आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होगा।
आर्थिक दृष्टि से यह योजना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मत्स्य व्यवसाय के विस्तार से राज्य में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे, गांव के युवा और किसान मत्स्य और संबंधित क्षेत्रों में कार्य कर सकेंगे। साथ ही, बिहार अपनी मछली उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और मजबूत कदम बढ़ाएगा।