
अमूल अब केवल डेयरी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह खाद्य पदार्थ कंपनी बनने की दिशा में अग्रसर है। इसने जैविक दाल, आटा, बासमती चावल और मसाले जैसे उत्पाद लॉन्च किए हैं।
भारत के प्रमुख डेयरी ब्रांड अमूल ने वित्त वर्ष 2025 में ₹90,000 करोड़ का राजस्व अर्जित किया है, जो पिछले वित्त वर्ष 2024 के ₹80,000 करोड़ से करीब 12.5 प्रतिशत अधिक है। कंपनी ने यह उपलब्धि सभी श्रेणियों में दोहरे अंकों की मजबूत वृद्धि के चलते हासिल की है।
अमूल के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने बताया कि अब कंपनी का लक्ष्य FY26 में ₹1 ट्रिलियन (₹1 लाख करोड़) ब्रांड बनना है। उन्होंने कहा कि गर्मियों के मौसम में आइसक्रीम और मिल्कशेक की मजबूत मांग से इस वित्त वर्ष की शुरुआत भी बेहद उत्साहजनक रही है।
गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (GCMMF), जो अमूल ब्रांड का प्रबंधन करता है, ने FY25 में ₹66,000 करोड़ का राजस्व दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 12% की वृद्धि है। हालांकि, अमूल का कुल कारोबार GCMMF से अधिक है क्योंकि वलसाड, राजकोट, गोधरा, सूरत, वडोदरा और आनंद जैसे क्षेत्रों की डेयरियां अमूल ब्रांड के अंतर्गत अपने उत्पाद बेचती हैं, लेकिन उनका राजस्व GCMMF में शामिल नहीं होता।
इसके अलावा, गुजरात में पशु आहार कारोबार अमूल के तहत आता है, जबकि यह GCMMF के अंतर्गत नहीं गिना जाता। डेयरी उत्पादों के साथ-साथ अब अमूल धीरे-धीरे एक फूड ब्रांड के रूप में भी उभर रहा है। कंपनी ने हाल ही में जैविक दालें, गेहूं का आटा, बासमती चावल और मसाले जैसे उत्पाद बाजार में उतारे हैं।
अंतरराष्ट्रीय विस्तार की दिशा में भी अमूल ने अहम कदम उठाए हैं। FY24 में अमूल ने अमेरिकी बाजार में अपने ताजे दूध के साथ प्रवेश किया। इसके लिए अमूल ने Michigan Milk Producers Association (MMPA) के साथ साझेदारी की, जहां MMPA दूध एकत्र और प्रोसेस करेगा जबकि GCMMF विपणन और ब्रांडिंग देखेगा।
वर्तमान में GCMMF के पास गुजरात के 18,600 गांवों से जुड़े 360 मिलियन किसान हैं और यह सहकारी संस्था 50 से अधिक देशों में अपने उत्पादों का निर्यात कर रही है। GCMMF की स्थापना 9 जुलाई 1973 को वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में हुई थी।