केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री (Cooperative Minister) अमित शाह (Amit Shah) ने UN, न्यूयॉर्क में आयोजित उच्चस्तरीय स्मारक कार्यक्रम में वीडियो संदेश के माध्यम से कहा कि भारत में सहकारिता (Cooperative) अब कृषि (Agriculture) तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह डिजिटल सेवाओं, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, जैविक खेती, वित्तीय समावेशन और रोजगार जैसे अनेक क्षेत्रों में नवाचार और आत्मनिर्भरता का प्रमुख माध्यम बन चुकी है।
उन्होंने बताया कि भारत में वर्तमान में 8.4 लाख से अधिक सहकारी समितियां हैं, जिनसे 32 करोड़ से अधिक सदस्य जुड़े हुए हैं। ये समितियां किसानों को वैश्विक बाजारों से जोड़ती हैं, स्थानीय उत्पादों को ग्लोबल स्तर पर पहचान दिलाती हैं।
अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “सहकार से समृद्धि” के मंत्र को दोहराते हुए सहकारिता को असमानता, खाद्य असुरक्षा और समावेशी विकास जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने का मजबूत और टिकाऊ मॉडल बताया। उन्होंने भारत सरकार की नई राष्ट्रीय सहकारी नीति (2025-2045), त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना, और देश की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना का उल्लेख किया, जिसे सहकारी समितियों के माध्यम से संचालित किया जा रहा है।
कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा केन्या और मंगोलिया के स्थायी मिशनों के सहयोग से किया गया। इस कार्यक्रम का विषय था – “सहकारिता और सतत विकास: गति बनाए रखना और नए रास्ते तलाशना”, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर सहकारी समितियों की भूमिका और प्रभाव को रेखांकित करना था।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति में सहकारिता की ऐतिहासिक जड़ों की चर्चा की और वैश्विक साझेदारी के माध्यम से सहकारी विकास को और विस्तार देने का आह्वान किया।
केन्या, मंगोलिया, काबो वर्डे और कोलंबिया के प्रतिनिधियों ने भी अपने-अपने देशों में सहकारी समितियों की सफलता की कहानियाँ साझा कीं।
कार्यक्रम में इंटरनेशनल कोऑपरेटिव एलायंस (ICA) के अध्यक्ष एरियल एनरिक ग्वार्को और ILO की सुश्री सिंथिया सैमुअल-ओलोंजुवोन ने सहकारिता के माध्यम से गरीबी उन्मूलन, सामाजिक समावेशन और सतत आर्थिक विकास में मिल रही सफलता को रेखांकित किया।
भारत के NAFED के प्रबंध निदेशक ने भारतीय सहकारी यात्रा को साझा करते हुए सामूहिक स्वामित्व, पारस्परिक विश्वास और सहयोग की भावना को भारत की सहकारी शक्ति का आधार बताया।
यह आयोजन वैश्विक मंच पर सहकारी समितियों की भूमिका को रेखांकित करने और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में सहयोग आधारित अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।