केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय की पहल पर प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पैक्स) की तर्ज पर मत्स्य सहकारी समितियां भी अन्य व्यावसायिक गतिविधियां संचालित कर सकेंगी। यह अधिकार उन्हें राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में मॉडल बायलॉज के लागू होने के बाद प्राप्त हुआ है। राष्ट्रीय सहकारी डाटाबेस के अनुसार वर्तमान में देश में प्राथमिक मत्स्य सहकारी समितियों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
केंद्र सरकार ने फरवरी 2023 में सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाने और जमीनी स्तर तक इसकी पहुंच बढ़ाने के लिए एक योजना को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत देश में मत्स्य सहकारी समितियों का गठन करना है। अगले पांच वर्षों में देश के सभी पंचायतों व गांवों को शामिल करते हुए वहां नई बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
देश में राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), पीएम मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) सहित भारत सरकार की विभिन्न मौजूदा योजनाओं को राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) और राज्य सरकारों के सहयोग से एकीकृत किया जाएगा।
भारत की ज्यादा अंतरराष्ट्रीय सीमाएं समुद्र से घिरी हैं, जिसमें मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं है। इसका पर्याप्त दोहन अभी तक नहीं हो पा रहा है, जबकि समुद्र तटीय क्षेत्रों में मछुआरों की बड़ी आबादी निवास करती है। उनके जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से सहकारिता को माध्यम बनाया गया है। घरेलू स्तर पर मछलियों की भारी मांग है। इसी तरह अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी भारतीय मछलियों की मांग लगातार बढ़ रही है, जिसे पूरा करने की दिशा में लगातार प्रयास जारी है।
अंतरराज्यीय स्तर पर भी झीलों, नदियां, नहरों पोखर और तालाबों की भारी संख्या है, जिसमें मछली पालन की भारी संभावना है। इन्हीं अवसरों का लाभ उठाते हुए सरकार ने सहकारी क्षेत्र के माध्यम से समाज के निचले हिस्से में जीवनयापन करने वाले मछुआरों को सहकारिता से जोड़ने का संकल्प लिया है। देश में फिलहाल 25,660 मत्स्य सहकारी समिति हैं, जिनकी संख्या को और बढ़ाना है।
देश में सबसे ज्यादा मत्स्य सहकारी समितियां 4927 अकेले तेलंगाना में हैं जबकि 3307 मत्स्य सहकारी समितियां महाराष्ट्र में गठित की गई हैं। मध्य प्रदेश में 2917, आंध्र प्रदेश में 1951 जबकि छत्तीसगढ़ में इनकी संख्या 1794 है। बड़ा प्रदेश होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में मत्स्य सहकारी समितियों की संख्या मात्र 1111 है तो वहीं गुजरात में 680 मत्स्य सहकारी समितियां है। समुद्र तटीय राज्यों में मत्स्य सहकारी समितियों की संख्या को बढ़ाने पर विशेष अभियान चलाया जा रहा है। केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने पैक्स, मत्स्य और डेयरी सहकारी समितियों की संख्या को बढ़ाकर दो लाख से अधिक करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।