गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी घनश्याम सिंह को आखिरकार लंबी कानूनी लड़ाई के बाद राहत मिली है। उन्होंने 26 जून 2017 को दिल्ली के मैजिक ऑटो से मारुति डिजायर कार खरीदी थी। लेकिन 22 अक्टूबर 2018 को हुए एक्सीडेंट के बाद कार में खराबी आ गई।
घनश्याम ने समस्या के समाधान के लिए मारुति सुजुकी सर्विस सेंटर और इंश्योरेंस कंपनी बजाज अलियांज से संपर्क किया, लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की। यहां तक कि इंश्योरेंस कंपनी ने उनका क्लेम यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया कि इंजन जब्त होने के बाद जबरदस्ती चलाया गया था।
हालांकि घनश्याम का कहना था कि उन्होंने कार सर्विस सेंटर को दी थी, तब इंजन सही हालत में था और चल रहा था। कंपनी ने उन्हें मैसेज भेजकर इंजन की मरम्मत का खर्च खुद उठाने के लिए भी कहा था।
इस मामले में 17 मई 2019 को घनश्याम ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (DCDRC), गाजियाबाद में शिकायत दर्ज की।
अदालत का फैसला
गाजियाबाद की जिला उपभोक्ता अदालत ने ग्राहक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए मारुति सुजुकी और उसके अधिकृत सर्विस सेंटर दीप मोटर्स (आजमगढ़) को आदेश दिया कि वे 45 दिन के भीतर कार का इंजन ठीक करें या नया इंजन दें। अगर आदेश का पालन नहीं किया गया तो हर दिन 300 रुपये का जुर्माना देना होगा।
साथ ही अदालत ने बजाज अलियांज इंश्योरेंस कंपनी को कार की बाहरी मरम्मत के लिए 94,913 रुपये सर्विस सेंटर को देने का निर्देश दिया। मारुति सुजुकी, दीप मोटर्स और बजाज अलियांज को मिलकर ग्राहक को मानसिक उत्पीड़न के लिए 50,000 रुपये का मुआवजा भी देना होगा।
इंजन को नही हुआ था कोई भी नुकसान
मारुति सुजुकी के वकील ने दलील दी कि एक्सीडेंट की स्थिति में वारंटी लागू नहीं होती। लेकिन आयोग ने इसे खारिज करते हुए कहा कि घनश्याम ने साबित कर दिया कि इंजन को कोई नुकसान नहीं हुआ था और वे खुद कार चलाकर सर्विस सेंटर तक पहुंचे थे।
इंश्योरेंस कंपनी के सर्वेयर ने भी बाहरी नुकसान के लिए 77,986 रुपये और डेप्रिसिएशन के लिए 16,927 रुपये का अनुमान लगाया था। इसलिए इंश्योरेंस कंपनी को सर्विस सेंटर को 94,913 रुपये देने होंगे और सर्विस सेंटर को कार की मरम्मत करनी होगी