ओडिशा सरकार ने राज्य में कृषि के क्षेत्र को नई दिशा देने के लिए ‘एग्री-टेक स्मार्ट फार्म (Agri-Tech Smart Farm – ATSF)’ योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। यह योजना पहली बार पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत लागू की जा रही है, जिसका उद्देश्य कृषि को तकनीकी, टिकाऊ और लाभदायक बनाना है।
इस योजना के पहले चरण के लिए सेमिलिगुड़ा (कोरापुट), सुकींदा (जाजपुर), सखीगोपाल (पुरी) और चकुली (बरगढ़) जिलों को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है। ये सभी परियोजनाएं 600 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फैली होंगी और इनमें लगभग 66 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि इन परियोजनाओं से राज्य के किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और कृषि क्षेत्र में तकनीक का व्यापक प्रसार होगा।
अधिकारियों के अनुसार, सबसे बड़ा फार्म सेमिलिगुड़ा में 352.58 हेक्टेयर में 2.77 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा। वहीं, सुकींदा में 21 करोड़ रुपये की लागत से 200 हेक्टेयर, सखीगोपाल में 10.74 करोड़ रुपये की लागत से 26.24 हेक्टेयर और चकुली में 21.29 करोड़ रुपये की लागत से 21.6 हेक्टेयर क्षेत्र का विकास किया जाएगा। इन सभी फार्मों में माइक्रो-इरिगेशन सिस्टम, IoT सेंसर, ड्रोन, क्रॉप कैमरे, ग्रीनहाउस और हाइड्रोपोनिक सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
ATSF परियोजना का उद्देश्य न केवल खेती को आधुनिक बनाना है, बल्कि फसल कटाई के बाद की सुविधाओं, तकनीकी प्रशिक्षण और एग्री-टूरिज्म को भी इसमें शामिल करना है। हर फार्म में तकनीक आधारित खेती, फसल प्रबंधन, प्रसंस्करण इकाइयाँ, कोल्ड चेन, पैक हाउस और विपणन व्यवस्था को जोड़ा जाएगा, ताकि किसान उत्पादन से लेकर विपणन तक की पूरी प्रक्रिया में लाभ कमा सकें।
अधिकारियों ने बताया कि हर स्थान की कृषि-पद्धति स्थानीय जलवायु के अनुसार तैयार की गई है। सुकींदा में निर्यात योग्य पौधों और फूलों की खेती पर जोर होगा, सेमिलिगुड़ा में मल्टी-क्रॉप स्मार्ट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा, सखीगोपाल में बागवानी और विशेष फसलों जैसे कागजी नींबू व नारियल की खेती होगी, जबकि चकुली को ऑर्गेनिक और नेचुरल फार्मिंग मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा।
इसके साथ ही, निजी निवेशकों को ऑर्गेनिक फार्मिंग, टेक-आधारित डेयरी, रेशम उत्पादन, झींगा पालन जैसी गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिलेगा। वे ड्रोन स्प्रेइंग, सेंसर्स इंस्टॉलेशन और उपकरण किराये पर देने जैसे सेवा-आधारित बिजनेस मॉडल भी संचालित कर सकेंगे।
योजना में 25% भूमि एग्री-टूरिज्म गतिविधियों के लिए आरक्षित की जाएगी। सखीगोपाल में धार्मिक व सांस्कृतिक थीम, सेमिलिगुड़ा में जनजातीय और इको-टूरिज्म थीम, तथा चकुली में खेती व सांस्कृतिक विरासत आधारित थीम पर काम किया जाएगा। इन स्थलों पर ईको लॉज, कॉटेज, एग्री-ट्रेल्स, हस्तशिल्प केंद्र और पारंपरिक ओडिया व्यंजन स्टॉल विकसित किए जाएंगे।
कृषि विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार पड्ही ने कहा कि यह मॉडल खेती में तकनीक और विशेषज्ञता को तेजी से शामिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह किसानों, निवेशकों और पर्यटन क्षेत्र के लिए एक बहुआयामी विकास मॉडल बनेगा जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नए अवसरों से जोड़ देगा।