आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के तिरुपति (Tirupati) में सहकारिता मंत्रालय (Ministry Of Cooperation) द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला और समीक्षा बैठक का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य देश के सहकारिता (Cooperatives) क्षेत्र को और अधिक सुदृढ़, पारदर्शी तथा भविष्य के लिए तैयार बनाना था। कार्यशाला में देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि, सचिव, सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (आरसीएस) तथा प्रमुख हितधारक शामिल हुए।
कार्यशाला का उद्घाटन सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी ने मंत्रालय के अपर सचिव श्री पंकज कुमार बंसल एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया। उद्घाटन सत्र में डॉ. भूटानी ने कहा कि सहकारी आंदोलन भारत की समृद्धि का आधार है और आज यह केवल कृषि व ऋण जैसे पारंपरिक क्षेत्रों तक सीमित नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सेवा, सेवाओं और मूल्य श्रृंखला एकीकरण जैसे नए क्षेत्रों में भी तेजी से विस्तार कर रहा है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय तकनीकी प्रगति और मानव संसाधन विकास को एकीकृत करते हुए सहकारी समितियों को जन-केंद्रित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
कार्यशाला के प्रमुख सत्रों में पैक्स (प्राथमिक कृषि ऋण समितियों) के कम्प्यूटरीकरण, सहकारी बैंकों की चुनौतियों के समाधान, अनाज भंडारण योजना के तीव्र क्रियान्वयन और बहु-राज्य सहकारी समितियों की प्रगति की समीक्षा जैसे विषय शामिल थे। एक समर्पित तकनीकी सत्र में पैक्स, एआरडीबी और आरसीएस कार्यालयों के पूर्ण डिजिटलीकरण पर चर्चा हुई। इसमें नाबार्ड द्वारा सॉफ्टवेयर विकास, हार्डवेयर खरीद और प्रशिक्षण सहायता से जुड़े अपडेट प्रस्तुत किए गए। उद्देश्य यह था कि पैक्स को कृषि इनपुट, ऋण, खरीद और भंडारण जैसी एकीकृत सेवाओं के लिए एक “वन-स्टॉप शॉप” के रूप में विकसित किया जा सके।
सत्र का एक प्रमुख हिस्सा “विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना” पर केंद्रित रहा, जिसके अंतर्गत 29,000 पैक्स तक गोदाम निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। कार्यशाला में 500 पैक्स के प्रायोगिक चरण के अनुभव साझा किए गए और इस योजना को व्यापक स्तर पर लागू करने के लिए राज्यों से सहयोग का आग्रह किया गया। चर्चाओं में भूमि की उपलब्धता, आर्थिक व्यवहार्यता, तकनीकी सहायता और व्यावसायिक विविधीकरण के माध्यम से गोदामों के सतत संचालन पर जोर दिया गया।
दूसरे दिन “व्यावसायिक विविधीकरण के माध्यम से पैक्स के क्षितिज का विस्तार” विषय पर सर्वोत्तम प्रथाओं पर केंद्रित सत्र आयोजित किया गया। विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी उपलब्धियों और नवाचारों को साझा किया। मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत तीन बहु-राज्य सहकारी समितियों – राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL), राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड (NCOL) और भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) की प्रगति की समीक्षा भी की।
कार्यशाला में मार्च 2024 में शुरू किए गए राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस (NCD) की समीक्षा भी की गई, जिसमें अब तक 8.4 लाख से अधिक सहकारी समितियाँ और 32 करोड़ से अधिक सदस्य पंजीकृत हैं। यह डेटाबेस सहकारी गतिविधियों, वित्तीय प्रदर्शन, लेखा परीक्षा स्थिति और बुनियादी ढांचे से संबंधित विस्तृत डेटा प्रदान करता है।
इसके अतिरिक्त, सहकारी बैंकिंग क्षेत्र की कठिनाइयों के समाधान और बीमा क्षेत्र में सहकारी समितियों की भूमिका पर भी विशेष सत्र आयोजित किया गया। इफको-टोकियो के प्रतिनिधियों ने सहकारी समितियों को बीमा सेवाओं से जोड़ने के उपायों पर जानकारी दी।
अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष (IYC-2025) और जनसंपर्क को बढ़ावा देने के लिए एक अलग सत्र में राज्यों से इस अवसर पर प्रमुख कार्यक्रमों के आयोजन का अनुरोध किया गया। “एक पेड़ माँ के नाम” जैसे विशेष अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक बनाने का आह्वान किया गया। सहकारिता क्षेत्र में नवाचारों और उपलब्धियों को उजागर करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के सक्रिय उपयोग पर भी बल दिया गया।
कार्यशाला के समापन सत्र में सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. भूटानी ने कहा कि “सुधार, प्रदर्शन, परिवर्तन और सूचना” के सिद्धांतों पर कार्य करते हुए सहकारी क्षेत्र को देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति का मुख्य स्तंभ बनाया जा सकता है। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे अपने डेटा को राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस से साझा करें ताकि संतुलित विकास सुनिश्चित हो सके।
डॉ. भूटानी ने वित्तीय कार्यों में पारदर्शिता, योजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन और सहकारी संसाधनों के सतत उपयोग को अनिवार्य बताया। अपने समापन संबोधन में उन्होंने आंध्र प्रदेश सरकार और स्थानीय सहकारिता विभागों को इस सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।