भारत सरकार का डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन अब और तेजी से देशभर में विस्तार कर रहा है। इस पहल के तहत किसानों को एक यूनिक डिजिटल आईडी (किसान पहचान पत्र) दी जा रही है, जिसमें उनकी जमीन, फसल पैटर्न और सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारी एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगी।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार अब हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे नए राज्य इस योजना से जुड़ने जा रहे हैं। अब तक देशभर में 6 करोड़ से ज्यादा किसानों को डिजिटल आईडी जारी की जा चुकी है, जो 14 राज्यों में फैले हुए हैं।
सरकार का लक्ष्य है कि 2025-26 तक 9 करोड़ और 2026-27 तक 11 करोड़ किसानों को इस योजना के तहत जोड़ा जाए।
किन राज्यों में सबसे ज्यादा किसान जुड़े
डिजिटल किसान पहचान के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, जहां 1.47 करोड़ किसानों को डिजिटल आईडी जारी हो चुकी है। इसके बाद महाराष्ट्र (1.18 करोड़), मध्य प्रदेश (91 लाख), राजस्थान (78 लाख) और गुजरात (57 लाख) का स्थान है। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु भी इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं।
एग्रीस्टैक और डिजिटल टूल्स से होगा बड़ा फायदा
यह पूरी पहल सरकार के ‘एग्रीस्टैक प्रोजेक्ट’ का हिस्सा है, जिसके तहत खेती से जुड़े डेटा, फसल सर्वे और किसानों की पहचान के लिए तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने 6000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है, जिसमें से 4000 करोड़ रुपये किसान रजिस्ट्रियों और लीगल हेयर सिस्टम के लिए और 2000 करोड़ रुपये डिजिटल क्रॉप सर्वे (DCS) के लिए आवंटित किए गए हैं।
डिजिटल क्रॉप सर्वे 2025-26 के खरीफ सीजन में 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू किया गया है। इसका इस्तेमाल अब पीएम फसल बीमा योजना (PMFBY), पीएम किसान, किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और मृदा हेल्थ कार्ड जैसी योजनाओं में वेरिफिकेशन और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के लिए किया जा रहा है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किसान ने जो फसल बताई है, वही वास्तव में बोई भी है।
किसानों के लिए मुख्य लाभ
- एक ही जगह पर जमीन, फसल और सरकारी योजनाओं की जानकारी उपलब्ध
- योजनाओं का लाभ सीधे किसानों तक पहुँचना, बिचौलियों की भूमिका घटेगी
- सरकारी योजनाओं के बेहतर मॉनिटरिंग और निर्णय प्रक्रिया
- फर्जी लाभार्थियों की पहचान और पारदर्शिता में वृद्धि
डिजिटल किसान पहचान पत्र योजना से देश में स्मार्ट खेती (Smart Farming) और डेटा-आधारित निर्णय प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा, जिससे कृषि क्षेत्र और किसानों दोनों को लंबे समय में