भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सितंबर 2025 के ताजा सर्वे में महंगाई को लेकर देशवासियों की धारणा में राहत के संकेत मिले हैं। सर्वे के अनुसार, लोगों को अब खाद्य वस्तुओं से लेकर गैर-खाद्य वस्तुओं और सेवाओं तक सभी क्षेत्रों में कीमतों के दबाव में कमी महसूस हो रही है। हालांकि वर्तमान महंगाई की धारणा थोड़ी बढ़ी है, लेकिन आने वाले महीनों के लिए महंगाई की उम्मीदों में कमी दर्ज की गई है, जिससे आम उपभोक्ताओं को राहत मिलने की संभावना बनी है।
सर्वे के अनुसार, वर्तमान महंगाई की धारणा थोड़ी बढ़ी है और यह 7.4 प्रतिशत रही, जो पिछले सर्वे की तुलना में 0.2 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, आगामी महीनों के लिए लोगों की महंगाई की उम्मीदें घटी हैं। अगले तीन महीनों के लिए यह उम्मीद 8.3 प्रतिशत से घटकर 8.1 प्रतिशत रही, जबकि एक वर्ष आगे की उम्मीदें 9.0 प्रतिशत से घटकर 8.7 प्रतिशत पर पहुंच गईं।
सर्वे में बताया गया कि आने वाले तीन महीनों में 77.8 प्रतिशत लोगों को कीमतें बढ़ने की संभावना है, जो पिछले सर्वे में 79.5 प्रतिशत थी। वहीं, एक वर्ष के दृष्टिकोण से यह आंकड़ा 86.8 प्रतिशत रहा, जो पहले 88.1 प्रतिशत था। इस सर्वे में 25 वर्ष से कम उम्र के युवाओं ने सबसे कम महंगाई (7.0%) महसूस की, जबकि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों ने इसे 7.9 प्रतिशत बताया।
शहरवार आंकड़ों में कोलकाता ने सर्वाधिक 10.5 प्रतिशत महंगाई महसूस की, इसके बाद मुंबई (8.5%) और दिल्ली (8.0%) का स्थान रहा। आरबीआई ने स्पष्ट किया कि यह सर्वे केंद्रीय बैंक की अपनी राय नहीं दर्शाता, बल्कि यह केवल उपभोक्ताओं की धारणा और उनकी उम्मीदों का प्रतिबिंब है।
महंगाई दर RBI के अनुमान से भी कम रहने की संभावना
सर्वे परिणामों के समानांतर, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और क्रिसिल की नवीनतम रिपोर्टों में यह संकेत मिला है कि चालू और अगले वित्त वर्ष में महंगाई दर आरबीआई के मौजूदा अनुमानों से भी कम रह सकती है।
एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, देश में महंगाई में कमी के पीछे कई सकारात्मक कारक कार्य कर रहे हैं। इनमें मानसून की बेहतर प्रगति, जलाशयों में पर्याप्त जलस्तर, खाद्यान्न के अच्छे भंडार, तथा जीएसटी सुधार जैसे कारक शामिल हैं। इन सभी कारणों से महंगाई की दर अनुमान से अधिक तेजी से कम हो रही है।
आरबीआई ने 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई दर के अनुमान को 0.50 प्रतिशत घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया है, जो अप्रैल के अनुमान से 1.6 प्रतिशत कम है। वहीं, वित्त वर्ष 2026-27 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2026) में महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती से आरबीआई के लिए भी दरों में कमी की संभावना बढ़ गई है। इस वर्ष के शेष समय में फेडरल रिजर्व दो और दर कटौती कर सकता है, जबकि आरबीआई एक बार दरों में कटौती कर सकता है।
जीएसटी दरों में हालिया कटौती और कच्चे तेल की घटती कीमतों से मुद्रास्फीति में और कमी आने की संभावना है। ब्रेंट क्रूड के इस वित्त वर्ष में औसतन 62 से 67 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान है। इससे आयातित महंगाई पर नियंत्रण बनेगा और घरेलू बाजार में स्थिरता आएगी।
क्रिसिल ने यह भी कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) विकास के मौजूदा स्तर से संतुष्ट है, लेकिन वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं को देखते हुए वह अपनी नीति को लचीला बनाए हुए है। मुद्रास्फीति की अनुकूल संभावनाएं एमपीसी को भविष्य में ब्याज दरों में राहत देने की गुंजाइश प्रदान करती हैं।