जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने गाजियाबाद स्थित कोचिंग संस्थान FIITJEE पर एक बड़ा जुर्माना लगाया है। आयोग ने संस्थान को एक अभिभावक को 1 लाख 72 हजार 622 रुपये वापस करने का आदेश दिया है, साथ ही 5,000 रुपये की मानसिक क्षतिपूर्ति और वाद व्यय के रूप में भुगतान करने का निर्देश जारी किया है।
दरअसल, मामला राजेंद्र नगर निवासी वरुण भसीन का है जिन्होंने अपने पुत्र दक्ष भसीन का दाखिला FIITJEE की गाजियाबाद शाखा में कराया था। दो साल की कोर्स के लिए कुल फीस 3 लाख 33 हजार 723 रुपये थी, जिसे वरुण भसीन ने 28 दिसंबर 2023 को चेक के माध्यम से जमा कराया। उनके बेटे ने लगभग एक महीने तक कोचिंग भी ली।
लेकिन बिना किसी पूर्व सूचना के कोचिंग सेंटर अचानक बंद हो गया। वरुण भसीन ने फीस वापसी के लिए संस्थान के मैनेजर से संपर्क किया, लेकिन संस्थान ने राशि लौटाने से साफ इनकार कर दिया। निराश अभिभावक ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज कराई।
आयोग के अध्यक्ष राजीव कुमार जैन, सदस्य राजीव कुमार सिंह और संतोष रावत की बेंच ने मामले की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया। आदेश के अनुसार, FIITJEE को 45 दिनों के भीतर 1 लाख 72 हजार 622 रुपये अभिभावक को लौटाने होंगे। इसके अलावा, 5,000 रुपये मानसिक पीड़ा के लिए क्षतिपूर्ति और वाद व्यय के रूप में भी भुगतान करना होगा। आयोग ने स्पष्ट किया कि संस्थान की लापरवाही से उपभोक्ता को भारी नुकसान हुआ है।
ई-रिक्शा चोरी के क्लेम पर बीमा कंपनी पर 1.24 लाख रुपये का जुर्माना
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग शामली ने बीमा कंपनी द ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और पीएनबी डूंगरावली शाखा पर 1.24 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। आयोग ने ई-रिक्शा चोरी के बीमा क्लेम को निरस्त करने के लिए दोनों पक्षों को बीमित राशि सहित ब्याज और वाद व्यय का भुगतान करने का आदेश दिया है।
मामला उत्तर प्रदेश के गांव सुन्ना निवासी संजीव कुमार का है। संजीव ने 23 अक्टूबर 2017 को आदिनाथ ट्रेडर्स, शामली से एक ई-रिक्शा खरीदा था। वाहन का फाइनेंस और इंश्योरेंस पीएनबी डूंगरावली शाखा से कराया गया। बीमा अवधि 23 अक्टूबर 2017 से 22 अक्टूबर 2018 तक थी, जिसमें प्रीमियम 5,777 रुपये और एश्योर्ड वैल्यू 1,14,000 रुपये थी।
22 फरवरी 2018 को खेड़ीकरमू से शामली जाते समय सिंभालका पेट्रोल पंप के पास ई-रिक्शा चोरी हो गया। संजीव ने तुरंत थाना कोतवाली शामली में FIR दर्ज कराई और उसी दिन पीएनबी शाखा प्रबंधक को घटना की सूचना दी। हालांकि, पुलिस की फाइनल रिपोर्ट कोर्ट से 11 जून 2019 में मिलने के बावजूद फाइल पीएनबी शामली कार्यालय में 3-4 महीने तक लंबित रही। अंततः, 7 जनवरी 2020 को बीमा कंपनी ने क्लेम को संजीव की ‘लापरवाही’ का हवाला देकर निरस्त कर दिया।
इसके खिलाफ संजीव ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में दायर किया। आयोग के अध्यक्ष हेमंत कुमार गुप्ता और सदस्य अभिनव अग्रवाल, अमरजीत कौर ने मामले की गहन जांच के बाद वाद स्वीकार किया। आयोग ने आदेश दिया कि द ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मेरठ और पीएनबी डूंगरावली शाखा प्रबंधक को 1,14,000 रुपये की बीमा राशि पर 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित भुगतान करना होगा। इसके अतिरिक्त, 10,000 रुपये वाद व्यय के रूप में भी जमा करने होंगे। कुल राशि लगभग 1.24 लाख रुपये आंकी गई है।