केंद्र सरकार की तरफ से टूना मछली, समुद्री शैवाल की खेती एवं सजावटी मछलियों के क्षेत्र में निवेश और निर्यात बढ़ाने हेतु नवंबर माह में लक्षद्वीप में निवेशक एवं निर्यातक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इस बात की जानकारी केंद्रीय मत्स्यपालन मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने कोच्चि में एक परामर्श बैठक में दी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि टूना मछली की सम्पूर्ण वैल्यू चेन के विकास एवं समुद्री शैवाल तथा सजावटी मछलियों में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्यक्रम आवश्यक हैं। उन्होंने पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ निर्यात सुनिश्चित करने हेतु प्रमाणन एवं ट्रेसेबिलिटी (पता लगाने की प्रणाली) के महत्व पर भी बल दिया।
लक्षद्वीप, जो भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है, समुद्री संसाधनों तथा उच्च मूल्य वाली टूना मछली के लिए आधारभूत स्थल के रूप में जाना जाता है। मंत्री ने पोल-एंड-लाइन तथा हैंडलाइन जैसे पर्यावरण-अनुकूल मछली पकड़ने के तरीकों का भी उल्लेख किया जो विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं।
राजीव रंजन सिंह ने यह भी बताया कि मत्स्य पालन क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से योगदान दे रहा है, और टूना मछली की दृष्टि से लक्षद्वीप की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने सरकार और लक्षद्वीप प्रशासन के बीच एक संयुक्त कार्य समूह बनाने की भी योजना का प्रस्ताव रखा ताकि लंबित मत्स्य पालन विकास परियोजनाओं को शीघ्र ही पूर्ण किया जा सके।
इस अवसर पर केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेरी राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन ने मत्स्य पालन को भारत का दूसरा तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र बताया, जिसका आत्मनिर्भर भारत एवं वोकल फॉर लोकल जैसे अभियानों से तालमेल आवश्यक है। उन्होंने स्थानीय मछुआरों को आधुनिक तकनीकों, कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा मूल्य संवर्धन उपकरण उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल दिया।
लक्षद्वीप के प्रशासक श्री प्रफुल्ल पटेल ने व्यापक हितधारक भागीदारी सुनिश्चित करने तथा प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जो मत्स्यपालन क्षेत्र को समग्र और सतत विकास की दिशा में अग्रसर करें।
इस बैठकों और पहल से लक्षद्वीप का मत्स्यपालन क्षेत्र मजबूत होगा, जिससे द्वीप की आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी तथा प्रधानमंत्री के 2047 तक विकसित भारत के विजन को साकार करने में मदद मिलेगी।