केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हालिया बयान के बाद Cooperative Election Authority (CEA) ने बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 में हुए संशोधनों को लागू करना शुरू कर दिया है। इसका पहला मामला सूरत की अग्रणी वराछा को-ऑपरेटिव बैंक में देखने को मिला है।
क्या बदला है?
धारा 10A (उपधारा 2a(i)) के तहत अब निदेशकों (अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) का अधिकतम लगातार कार्यकाल 8 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है। यह प्रावधान 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा और वराछा बैंक के आगामी चुनावों पर लागू होगा।
CEA के निर्देश
रिटर्निंग ऑफिसर को उम्मीदवारों के कार्यकाल, अयोग्यता और RBI दंड की कड़ी जांच करने को कहा गया है। बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर से सभी संबंधित दस्तावेज सौंपने को कहा गया है ताकि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष रहे। बैंक का अधिकार क्षेत्र दादरा और नागर हवेली तक फैला है। नए सदस्य वोट दे सकेंगे लेकिन निदेशक पद के लिए कम से कम एक साल की सदस्यता अनिवार्य होगी।
वराछा बैंक का मामला
बैंक के 10 निदेशक पहले ही 8 साल से अधिक कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। 15 निदेशक पदों के लिए चुनाव 1 मार्च 2026 को होंगे। लगभग 65,567 सदस्य मतदान के पात्र हैं। सबसे बड़ा सवाल है: क्या लंबे समय से पद पर बैठे निदेशक नया प्रावधान पार कर पाएंगे या नई नेतृत्व टीम सामने आएगी?
व्यापक असर
हालांकि वराछा का चुनाव CEA के अधीन है क्योंकि यह बहु-राज्य सहकारी बैंक है, लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या राज्य सहकारी चुनाव प्राधिकरण भी अपने-अपने कानूनों के तहत चलने वाले बैंकों में यह संशोधित प्रावधान लागू करेंगे?