सहकार भारती के सह-संस्थापक और भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशक सतीश मराठे ने जीएसटी परिषद की हालिया दर कटौती को ऐतिहासिक और गेम-चेंजर करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह सुधार खपत और विनिर्माण को नया आयाम देंगे, खासतौर पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) के लिए।
मराठे ने कहा, “मैं सहकारी क्षेत्र की ओर से सरकार और जीएसटी परिषद को दरों में कटौती के लिए बधाई देता हूँ। इससे सभी वर्गों में खपत और उत्पादन को बल मिलेगा।”
सहकारी क्षेत्र को सीधा फायदा
मराठे ने स्पष्ट किया कि विनिर्माण, प्रसंस्करण और सेवा क्षेत्र से जुड़ी सभी सहकारी संस्थाएं कम कर दरों से लाभान्वित होंगी। उन्होंने कहा कि टैक्स घटने से वस्तुएं और सेवाएं सस्ती होंगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
- डेयरी सहकारिताएं: UHT दूध पर जीएसटी पूरी तरह हट गया है, जबकि कंडेन्स्ड मिल्क, मक्खन, घी, पनीर और चीज पर कर घटकर 12% से 5% या शून्य हो गया है। इससे अमूल और राज्य स्तरीय सहकारिताओं को सीधा लाभ मिलेगा।
- कृषि सहकारिताएं: ड्रिप इरीगेशन सिस्टम, बायोपेस्टीसाइड्स और कृषि यंत्रों पर दरें 12% से घटकर 5% हो गईं। ट्रैक्टर और पुर्जों पर राहत से किसानों का बोझ कम होगा।
- उपभोक्ता सहकारिताएं: खाद्य प्रसंस्कृत वस्तुएं, साबुन, टूथपेस्ट और सिलाई मशीन जैसी जरूरत की चीजें अब 5% पर उपलब्ध होंगी। सहकारी स्टोर सीधे उपभोक्ताओं को सस्ता सामान दे पाएंगे।
- ऊर्जा सहकारिताएं: सौर हीटर और बायोगैस प्लांट पर कर कटौती से ग्रामीण क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा।
- बैंकिंग व क्रेडिट सहकारिताएं: भले ही दरें सीधे प्रभावित नहीं करतीं, लेकिन बढ़ती खपत और ग्रामीण मांग से इनके कारोबार में गति आएगी।
जीएसटीएटी से होगी त्वरित सुनवाई
जीएसटी परिषद की बैठक (56वीं बैठक), जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की, में यह भी तय हुआ कि GST अपीलीय न्यायाधिकरण (GSTAT) सितंबर 2025 के अंत तक चालू होगा। इससे सहकारी संस्थाओं को कर विवादों का त्वरित समाधान मिलेगा।