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अमेरिका को पीछे छोड़ 2038 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत, ब्रिटेन की वैश्विक परामर्श कंपनी EY का दावा

ब्रिटेन की वैश्विक परामर्श कंपनी अर्न्स्ट एंड यंग (EY) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत आने वाले वर्षों में आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत परचेजिंग पावर पैरिटी (PPP) के आधार पर 2030 तक 20.7 ट्रिलियन डॉलर और 2038 तक 34.2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इस दौरान भारत अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा

Published: 12:57pm, 03 Sep 2025

भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से उभरते हुए एक नए मुकाम की ओर अग्रसर है। ब्रिटेन की अकाउंटिंग एवं परामर्शदाता फर्म अर्न्स्ट एंड यंग (EY) ने अपनी रिपोर्ट ‘इकोनॉमी वॉच’ में दावा किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले डेढ़ दशक में वैश्विक परिदृश्य को नई दिशा दे सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत परचेजिंग पावर पैरिटी (PPP) के आधार पर 2030 तक 20.7 ट्रिलियन डॉलर और 2038 तक 34.2 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा। इस अवधि तक भारत अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान हासिल कर लेगा। वर्तमान में भारत चीन और अमेरिका के बाद PPP के आधार पर तीसरे स्थान पर है।

पीपीपी यानी परचेजिंग पावर पैरिटी का मतलब है यह देखना कि किसी देश में लोगों की खरीदने की क्षमता कितनी है। आसान भाषा में समझें तो अगर भारत में कोई वस्तु 100 रुपये में मिलती है, तो वही वस्तु दूसरे देशों में कितने की पड़ेगी, इसी तुलना से देशों की आर्थिक ताकत सामने आती है। इसी आधार पर देखा जाए तो भारत की स्थिति लगातार मजबूत होती दिख रही है।

अमेरिका को पीछे छोड़ देगा भारत

EY का आकलन है कि अगर भारत और अमेरिका की औसत वृद्धि दर क्रमशः 6.5% और 2.1% बनी रहती है, तो 2038 तक भारत अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पछाड़ देगा। 2028 तक भारत बाजार विनिमय दरों पर जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन सकता है।

भारत की यह ताकत उसके युवा एवं कुशल कार्यबल, उच्च बचत दर, मजबूत घरेलू मांग और कम डेब्ट-टू-जीडीपी अनुपात पर आधारित है। EY की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिर नीतिगत वातावरण और नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने की क्षमता भारत को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी और सशक्त बना रही है।

वैश्विक अस्थिरता के बीच मजबूत कदम

रिपोर्ट बताती है कि भले ही वैश्विक व्यापारिक अस्थिरता और अमेरिकी शुल्क दबाव का असर दिख रहा हो, लेकिन भारत अपनी घरेलू मांग आधारित अर्थव्यवस्था के सहारे स्थिर गति से आगे बढ़ रहा है। वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी PPP के आधार पर 14.2 ट्रिलियन डॉलर आंकी गई थी, जो बाजार विनिमय दर पर आंकी गई इकोनॉमी से लगभग 3.6 गुना अधिक है।

अमेरिकी टैरिफ और भारत पर संभावित प्रभाव

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के उत्पादों पर अमेरिका के 50% शुल्क से भारत की जीडीपी को 0.9% तक का झटका लग सकता है। परंतु यदि इसका एक हिस्सा घरेलू मांग में कमी के रूप में परिलक्षित होता है, तो कुल प्रभाव 0.3% तक सीमित रह सकता है। सही नीतिगत उपायों से यह प्रभाव और घटकर 0.1% तक रह सकता है।

ये उच्च अमेरिकी शुल्क मुख्य रूप से कपड़ा उद्योग, रत्न एवं आभूषण, झींगा, चमड़ा, जूते-चप्पल, रसायन, पशु उत्पाद और मशीनरी पर असर डालेंगे। हालांकि, दवा, ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद इस दायरे से बाहर रखे गए हैं।

भारत के शानदार प्रदर्शन की वजह

  1. युवा जनसंख्या: 2025 में भारत की औसत आयु मात्र 28.8 वर्ष होगी, जिससे आने वाले दशकों में विशाल और ऊर्जावान कार्यबल उपलब्ध रहेगा।

  2. उच्च बचत दर: भारत का सेविंग रेट दुनिया में सबसे ऊंचे स्तरों पर है, जिससे निवेश और पूंजी निर्माण के अवसर मिलते हैं।

  3. घटता सरकारी कर्ज: 2024 के 81% डेब्ट-टू-जीडीपी अनुपात के 2030 तक 75% तक घटने का अनुमान है।

  4. मजबूत घरेलू मांग: भारत की बड़ी घरेलू खपत आधारित अर्थव्यवस्था उसे वैश्विक मंदी के दौर में भी गति प्रदान करती है।

  5. टेक्नोलॉजी और रिफॉर्म्स: भारत लगातार नई तकनीकों को अपनाकर और संरचनात्मक सुधारों के जरिए अपनी अर्थव्यवस्था को लचीला बना रहा है।

ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी.के. श्रीवास्तव ने कहा कि भारत अपनी तुलनात्मक मजबूती और उभरती प्रौद्योगिकियों में क्षमताओं के चलते 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है।

चीन और वैश्विक परिदृश्य

चीन 2030 तक PPP के आधार पर 42.2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तो बनेगा, लेकिन उसकी वृद्ध होती आबादी और बढ़ते ऋण बोझ के चलते चुनौतियां गहराती जा रही हैं। वहीं, जर्मनी और जापान अधिकतर वैश्विक व्यापार पर निर्भर रहते हैं, जिसकी वजह से वैश्विक मंदी का असर उन पर ज्यादा पड़ सकता है। इसके उलट भारत अपनी आंतरिक मांग और नीति-निर्माण की स्थिरता पर खरा उतर रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग, स्थिर नीतियों और युवाओं की भागीदारी के कारण आने वाले वर्षों में लगातार मजबूती से आगे बढ़ेगी। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत का स्थिर प्रदर्शन इसे दीर्घकालिक विकास की ओर ले जा रहा है। रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला है कि भारत न केवल दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा, बल्कि वैश्विक आर्थिक संतुलन को भी नया आयाम देगा।

EY की यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि भारत का आर्थिक भविष्य बेहद उज्ज्वल है। यदि मौजूदा नीतियां और वृद्धि रफ्तार जारी रही, तो 2038 तक भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी PPP अर्थव्यवस्था बन जाएगा। युवाओं की ऊर्जा, मजबूत घरेलू मांग और सतत विकास की प्राथमिकताओं के साथ भारत का यह सफर ‘विकसित भारत 2047’ के विजन को साकार करने की दिशा में निर्णायक कदम साबित होगा।

YuvaSahakar Desk

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