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भारत है पुरुष हॉकी एशिया कप जीतने का प्रबल दावेदार, अति आत्मविश्वास से बचने की जरूरत

भारत राजगीर में शुरू हो रहे पुरुष हॉकी एशिया कप 2025 में मजबूत टीम, अनुभवी कप्तान हरमनप्रीत सिंह की फिटनेस और आक्रामक स्ट्राइकर लाइन के साथ खिताब जीतने के लक्ष्य के साथ उतर रहा है। विश्व कप 2026 के लिए सीधी क्वॉलिफिकेशन की उम्मीद के साथ भारत पर फाइनल में पहुंचने और डिफेंस में मजबूती दिखाने का दबाव है।

दुनिया के बेहतरीन ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह की अगुआई में एफआईएच रैंकिंग में आठवें नंबर पर काबिज मेजबान और तीन बार खिताब जीत चुके भारत के लिए शुक्रवार से राजगीर में शुरू हो रहा पुरुष हॉकी एशिया कप इम्तिहान की घड़ी है। भारत की निगाहें हर हाल में एशिया कप जीतकर 14 से 30 अगस्त, 2026 में बेल्जियम और नीदरलैंड में होने वाले एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप के लिए सीधे क्वालिफाई करने पर टिकी हैं। बेशक भारत हॉकी एशिया कप जीतने का सबसे प्रबल दावेदार है और जीतना भी चाहिए, लेकिन उसे अति आत्मविश्वास से बचना होगा। भारत चौथी बार एशिया कप हॉकी खिताब हर हाल में जीतकर एफआईएच हॉकी विश्व कप के लिए क्वालिफाई कर क्वालिफायर खेलने से बचना चाहेगा। भारत के लिए अच्छी खबर यह है कि एफआईएच प्रो लीग के यूरोपीय चरण में चोट के चलते आठ में से केवल पांच मैच खेलने वाले उसके कप्तान और ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह अब पूरी तरह फिट हैं। सोने पर सुहागा यह है कि भारत के स्ट्राइकर अभिषेक नैन, सुखजीत सिंह और मंदीप सिंह पूरे रंग में हैं और एशिया में अपना जलवा दिखाने को तैयार हैं।

भारत अपनी रैंकिंग, कौशल और दमखम के लिहाज से एशिया कप में शिरकत करने वाली सबसे बेहतर टीम है और उसे सब कुछ भूलकर इस समय अपना ध्यान केवल और केवल हॉकी एशिया कप जीतने पर लगाना होगा। भारत अपना अभियान एफआईएच रैंकिंग में 23वें स्थान पर काबिज चीन के खिलाफ शुक्रवार को पूल ए के मैच से शुरू करेगा। चीन अब तक केवल एक बार 2008 में बतौर मेजबान ओलंपिक में खेला है और तब वह 11वें स्थान पर रहा था, जबकि 2018 के एफआईएच हॉकी विश्व कप में दसवें स्थान पर रहा था। चीन की रणनीति अपने किले की मजबूत चौकसी के साथ अचानक जवाबी हमले बोलकर अपनी प्रतिद्वंद्वी टीम को चौंकाने की रहती है और ऐसे में भारत को इससे चौकस रहना होगा।

बीते एक वर्ष में कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने एफआईएच प्रो लीग में चोटों के चलते भारत के 16 मैचों में से केवल 9 मैच ही खेले। भारत के लिए अच्छी बात यह है कि हाल के वर्षों में अपने सभी एशियाई प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ उसका रिकॉर्ड बेहद मजबूत रहा है। भारत ने 2023 के एशियाई खेलों से 2024 की एशियन चैंपियंस ट्रॉफी तक 14 मैचों में 94 गोल दागे हैं। चीफ हॉकी कोच क्रेग फुल्टन और कप्तान हरमनप्रीत सिंह के सभी प्रयोगों को विराम देकर अब भारत को एशिया कप में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर खिताब जीतकर सीधे 2026 के विश्व कप के लिए क्वालिफाई कराने की बारी है।

कोई उलटफेर न हुआ तो बेशक भारत जरूर अपने घर में पुरुष हॉकी एशिया कप जीतकर 2026 के एफआईएच हॉकी विश्व कप के लिए क्वालिफाई कर लेगा। गोलरक्षक पीआर श्रीजेश के पेरिस ओलंपिक में भारत को लगातार दूसरी बार कांस्य पदक जिताने के बाद अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहने के बाद, मौजूदा गोलरक्षक कृष्ण बहादुर पाठक के एफआईएच प्रो हॉकी लीग में ढीले प्रदर्शन के बाद, एशिया कप में उन्हें मुस्तैदी दिखानी होगी, अन्यथा भारत की पूरी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।

आखिरी क्षण में गोल खाने से बचने की जरूरत

वहीं, भारत ने एफआईएच प्रो लीग 2024-25 के यूरोपीय चरण में नीदरलैंड, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और बेल्जियम के खिलाफ कुल आठ मैच खेले और बेल्जियम से केवल अंतिम व आठवां मैच जीता, जबकि लगातार सात मैच बेहद करीबी संघर्ष में हारकर आठवें स्थान पर रहकर किसी तरह इससे बाहर होने से बच गया। भारतीय टीम एशिया कप से ठीक पहले ऑस्ट्रेलिया में उससे चार मैचों की मैत्री हॉकी सीरीज 1-3 से हार चुकी है। भारत ने एफआईएच प्रो लीग में ज्यादातर मैच केवल एक गोल से हारे। भारत ने एफआईएच प्रो लीग के यूरोपीय चरण में आठ मैचों में 26 गोल खाए और रक्षापंक्ति की चूक उसे भारी पड़ी। भारत की रक्षापंक्ति के खिलाड़ियों ने डी में, खासतौर पर टैक्लिंग में, हड़बड़ी में गड़बड़ी कर बार-बार गेंद गंवाई। यही कारण रहा कि भारत ने आठ में से सात में हार एक गोल से मिली और इसमें पांच गोल उसने आखिरी क्वार्टर में खाए। लगा कि भारत आखिरी क्षणों में गोल खाने की पुरानी बीमारी से फिर पीड़ित हो गया। भारत को एशिया कप में आखिरी क्षण में गोल खाने से बचने की जरूरत होगी।

एक बड़ी बात यह रही कि भारत के कप्तान हरमनप्रीत सिंह पेरिस ओलंपिक के बाद, खासतौर पर उंगली की चोट के चलते, एफआईएच प्रो लीग के आठ मैचों में से पांच में बाहर रहे। इससे भारत की रक्षापंक्ति तो दबाव में आई ही, खासतौर पर पेनल्टी कॉर्नर पर उनके ड्रैग फ्लिकर के रूप में कौशल की कमी भी मैदान पर खली। दरअसल, आगे हमले बोलने पर कुछ जोखिम उठाने की भारत की रणनीति कारगर नहीं रही। हरमनप्रीत के पांच मैचों में बाहर रहने पर पेनल्टी कॉर्नरों का बतौर ड्रैग फ्लिकर जुगराज सिंह, अमित रोहिदास और संजय पूरा लाभ उन्हें गोल में तब्दील नहीं कर पाए।

भारत के अन्य ड्रैग फ्लिकरों का चीफ कोच क्रेग फुल्टन बचाव करते हुए कहते हैं कि उन्हें अभी और पेनल्टी कॉर्नरों का अधिकतम इस्तेमाल कर इन्हें गोल में बदलने के लिए और अनुभव चाहिए। भारत को प्रो लीग के यूरोपीय चरण में प्रत्येक मैच में आधा दर्जन या इससे अधिक पेनल्टी कॉर्नर मिले, लेकिन भारत के वेरिएशन इन पर कारगर नहीं रहे। एफआईएच प्रो लीग में भारत के प्रदर्शन को देखने के लिए दो नजरिए हो सकते हैं: एक यह कि इससे उसे एशिया कप के लिए खुद को बेहतर ढंग से तैयार करने का मौका मिला। वहीं, इसके उलट कुछ आलोचकों की राय यह है कि इससे भारत के मनोबल पर असर पड़ेगा। खैर, इस बहस से बचना ही बेहतर है।

भारत के लिए अब प्रयोग करने की गुंजाइश नहीं

भारत दुनिया के अपने समय के बेहतरीन गोलरक्षक रहे, पिछले लगातार दो ओलंपिक में कांस्य जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले गोलरक्षक पीआर श्रीजेश, स्ट्राइकर ललित उपाध्याय के अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहने, तथा रंग में नहीं होने के कारण चतुर स्कीमर शमशेर सिंह, नीलकांत शर्मा और स्ट्राइकर गुरजंट सिंह के टीम से बाहर रहने पर, इन पांचों के बिना हॉकी एशिया कप में खेलने उतरेगा। भारत ने जकार्ता में 2022 में पिछले एशिया कप में अपने 18 में से 15 एकदम नए खिलाड़ियों के साथ अनुभवी बीरेंद्र लाकड़ा की कप्तानी व कोच सरदार सिंह के मार्गदर्शन में एकदम नई टीम भेजी थी। तब भारत ने अपने पूल ए के मैच में जापान से 2-5 से हारने के बाद उसे सुपर 4 में 2-1 से हराया और इसके बाद राज कुमार पाल के इकलौते गोल से उस पर जीत दर्ज कर तीसरे स्थान पर रहा था।

भारत के लिए अब हॉकी एशिया कप में प्रयोग करने की गुंजाइश नहीं है और उसका सबसे पहला मकसद अपने पूल ए में शीर्ष पर रहने के साथ सुपर 4 में स्थान बनाना है। फिर सुपर 4 में शीर्ष दो में रहकर फाइनल में स्थान बनाने की होगी। भारत को खासतौर पर अपने पूल में जापान और चीन से, तथा बहुत मुमकिन है कि सुपर 4 में सबसे ज्यादा पांच बार खिताब जीत चुकी मौजूदा चैंपियन दक्षिण कोरिया और हमेशा से परेशान करती रही, जवाबी हमले बोलकर चौंकाने का दम रखने वाली, लेकिन अपनी फिटनेस को लेकर जूझ रही मलयेशिया से चौकस रहने की जरूरत है।

भारत ने चुनी है मजबूत टीम

भारत ने पुरुष हॉकी एशिया कप के लिए अनुभवी व मजबूत टीम चुनी है। भारत के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और जुगराज सिंह के रूप में दो बेहतरीन ड्रैग फ्लिकर हैं ही, अमित रोहिदास के रूप में पेनल्टी कॉर्नर रोकने के लिए सबसे मुस्तैद ‘रशर’ हैं। मेजबान भारत की ताकत अनुभवी मनप्रीत सिंह, हार्दिक सिंह, विवेक सागर प्रसाद, राज कुमार पाल के साथ नवोदित आक्रामक मिडफील्डर राजिंदर सिंह हैं। भारत के हमलों का दारोमदार अनुभवी मंदीप सिंह, अभिषेक, सुखजीत सिंह, शिलानंद लाकड़ा के साथ फ्रीमैन के रूप में दिलप्रीत सिंह पर है।

कसौटी पर होंगे गोलरक्षक पाठक

एफआईएच प्रो लीग में भारत के गोलरक्षक कृष्ण बहादुर पाठक खासतौर पर हवा में लंबे स्कूप से डी में पहुंची गेंद को रोकने में जूझते नजर आए। अपने पूर्ववर्ती गोलरक्षक पीआर श्रीजेश के अपनी मुस्तैदी से पेरिस ओलंपिक में भारत को लगातार दूसरी बार ओलंपिक में कांस्य जिताने के बाद अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहने के बाद, कृष्ण पाठक के सामान्य कद का खासतौर पर लंबे कद के यूरोपीय और ऑस्ट्रेलियाई स्ट्राइकरों ने लाभ उठाकर एफआईएच प्रो लीग में उन्हें छकाकर गोल दागे। सूरज करकेरा मुस्तैद तो दिखे, लेकिन दबाव में वह भी उलझते नजर आए। ऐसे में भारत के नंबर 1 गोलरक्षक के रूप में गोलरक्षक पाठक कसौटी पर होंगे।

भारत को एशिया कप जीतने के लिए उसकी गोलरक्षकों सहित कप्तान हरमनप्रीत सिंह, सुमित, अमित रोहिदास, जुगराज सिंह के साथ संजय को खासतौर पर जवाबी हमले बोलकर गोल करने के लिए ख्यात दक्षिण कोरिया, मलयेशिया और जापान के खिलाफ पूरी तरह चौकस रहना होगा। साथ ही अपने गोल पर हमले के समय भारतीय स्ट्राइकरों को पीछे आकर अपने फुलबैक की किले की चौकसी में मदद करनी होगी, जिससे कि वे मैन-टू-मैन मार्किंग कर अपने किले की चौकसी कर सकें।

पाक के हटने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा

भारत एशिया कप में इसमें शिरकत करने वाली एफआईएच रैंकिंग की सबसे ऊंची हॉकी टीम है और अपने घर में खेल रही है। भारत को सबसे ज्यादा अब तक पांच बार एशिया कप खिताब जीत चुकी दक्षिण कोरिया के साथ जापान, मलयेशिया और चीन से जरूर चौकस रहने की जरूरत है, क्योंकि ये सभी टीमें अतीत में परेशान करती रही हैं। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत के पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर कर उसके आतंकी ठिकाने तबाह करने के बाद, अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा की गारंटी की दुहाई देकर पाकिस्तान हॉकी एशिया कप से हट गया है। यूं भी पाकिस्तानी हॉकी टीम इस समय बेहद कमजोर है और ऐसे में उसके एशिया कप में शिरकत न करने से इसकी अहमियत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

दरअसल, पाकिस्तान की हॉकी टीम अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रही है और एशिया कप से हटने से उसकी 2026 के हॉकी विश्व कप में खेलने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। अब तक बेल्जियम और नीदरलैंड बतौर मेजबान, स्पेन ने 2024-25 एफआईएच प्रो लीग में तीसरे स्थान, ऑस्ट्रेलिया ने 2023-24 के एफआईएच प्रो लीग चैंपियन के नाते, न्यूजीलैंड को ओशिनिया से, जर्मनी ने 2025 की यूरो चैंपियनशिप के चैंपियन के नाते, और अर्जेंटीना ने पैन अमेरिकी चैंपियन के नाते, अब तक कुल सात टीमें 2026 के हॉकी विश्व कप के लिए क्वालिफाई कर चुकी हैं। पैन अमेरिकन कप और यूरो चैंपियनशिप के बाद अमेरिका, कनाडा, चिली, फ्रांस, इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया, पोलैंड, आयरलैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड के रूप में दस टीमें, एशिया कप के बाद दूसरे से छठे स्थान पर रहने वाली पांच और अफ्रीका से एक टीम के रूप में 16 टीमें पुरुष हॉकी विश्व कप क्वालिफायर्स 2026 में विश्व कप में बाकी नौ स्थानों के लिए भिड़ेंगी।

भारत का पहला मकसद है सुपर 4 में पहुंचना

2022 में जकार्ता में हुए पुरुष एशिया कप से दस खिलाड़ियों ने भारत के लिए अपने सीनियर अंतरराष्ट्रीय हॉकी करियर का आगाज किया था। पाकिस्तान ने असमंजस बनाए रखने के बाद अंततः ओमान के साथ एशिया कप से हटने का फैसला किया। भारत का पहला मकसद सुपर 4 में पहुंचना है। भारत अपने अभियान का आगाज इसके पहले दिन पूल ए में 23वें नंबर पर काबिज चीन के खिलाफ मैच से 29 अगस्त को करेगा, फिर दूसरे मैच में 31 अगस्त को जापान, 1 सितंबर को आखिरी पूल मैच में कजाकिस्तान के खिलाफ खेलेगा। पूल मैचों के बाद दोनों पूल की शीर्ष दो-दो टीमें 3 से 6 सितंबर तक सुपर 4 में खेलेंगी। सुपर 4 में शीर्ष दो में रहने वाली टीमें 7 सितंबर को फाइनल खेलेंगी।

पुरुष हॉकी एशिया कप 2025 के लिए भारत की 18 सदस्यीय टीम:

गोलरक्षक: कृष्ण बहादुर पाठक, सूरज करकेरा। रक्षापंक्ति: सुमित, जर्मनप्रीत सिंह, संजय, हरमनप्रीत सिंह (कप्तान), अमित रोहिदास, जुगराज सिंह। मध्यपंक्ति: राजिंदर सिंह, राज कुमार पाल, हार्दिक सिंह, मनप्रीत सिंह, विवेक सागर प्रसाद। अग्रिम पंक्ति: मंदीप सिंह, शिलानंद लाकड़ा, अभिषेक, सुखजीत सिंह, दिलप्रीत सिंह। वैकल्पिक खिलाड़ी: नीलम संजीप खेस, सेल्वम कार्ति।

एशिया कप जीत सीधे विश्व कप के लिए क्वालिफाई करना लक्ष्य- हरमनप्रीत सिंह, भारत के हॉकी कप्तान

भारतीय कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने कहा कि हमने एफआईएच प्रो लीग में अपने अभियान में बहुत कुछ सीखा। हम अपनी कमजोरियों का पता लगाकर उन्हें दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। हम एशिया कप जीतकर सीधे 2026 के हॉकी विश्व कप के लिए क्वालिफाई करना चाहते हैं और मुझे अपनी तैयारियों पर पूरा विश्वास है। मैं एफआईएच प्रो लीग में जब खेलने गया तो पूरी तरह फिट था, लेकिन वहां मुझे उंगली में चोट लग गई, लेकिन मैंने मैदान पर मौजूद नहीं रहने के बावजूद अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाई। चोट खेल का हिस्सा है। चोट बेशक निराश करती है, लेकिन हॉकी वैयक्तिक खेल नहीं है, बल्कि यह टीम खेल है और आपको इसमें एक टीम के रूप में खेलना पड़ता है।

हरमनप्रीत सिंह ने कहा कि मैं अब अपनी चोट से पूरी तरह उबर गया हूं और पूरी तरह फिट हूं। हमारा एशिया कप से पहले साई में शिविर बहुत बढ़िया रहा। हमारी एशिया कप के लिए तैयारी अच्छी रही है और इसके लिए हमें जिन चीजों पर मेहनत करनी थी, हमने की है। मुझे उम्मीद है कि हम एशिया कप में शनिवार को अपने मैच में चीन के खिलाफ पूरी शिद्दत से उतरेंगे। बतौर ड्रैग फ्लिकर, हम अपनी प्रतिद्वंद्वी टीम के रशर के साथ गोलरक्षण और कुल मिलाकर पूरे पेनल्टी कॉर्नर रक्षण का विश्लेषण करते हैं और फिर इसमें कमी तलाशकर उसे भुनाने की कोशिश करते हैं। सबसे अहम है निरंतर अभ्यास। हमारी सीनियर भारतीय हॉकी टीम में चार-पांच ड्रैग फ्लिकर हैं। हम सभी साथ-साथ पेनल्टी कॉर्नर पर ड्रैग फ्लिक लगाने का अभ्यास करते हैं। हमने वर्षों में बतौर ड्रैग फ्लिकर जो कुछ सीखा, उसे मैं अपने साथी ड्रैग फ्लिकरों के साथ बांटने की कोशिश करता हूं। हर ड्रैग फ्लिकर की अपनी शैली होती है। बस जरूरी है थोड़ा तालमेल बैठाकर अपनी तकनीक सुधारना।

हरमन ने कहा कि मेरा मानना है कि अनुभव के साथ हमारे ड्रैग फ्लिकर और बेहतर होंगे और ज्यादा मौके मिलने के साथ और बेहतर होते जाएंगे। हमारे लिए एशिया कप से ठीक पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैत्री हॉकी सीरीज खेलना तैयारी के लिहाज से अच्छा रहा। हमने इसमें अपने जिन खिलाड़ियों को आजमाना था, उन्हें आजमाया। हम ऑस्ट्रेलिया से आखिरी दो में एक मैच जीते और एक कड़े संघर्ष में हारे। हॉकी में डी यानी सर्किल में जब आप प्रतिद्वंद्वी पर हमला बोलते हैं, तो आपकी कोशिश मौके को भुनाकर गोल करने की होनी चाहिए। जब आप पर हमला होता है, तो आपको पूरी मजबूती के साथ अपने किले की चौकसी करनी चाहिए। जहां तक पाकिस्तान के एशिया कप में न खेलने की बात है, तो उसके खिलाफ मैच खासा रोचक और कभी-कभी तनाव व दबाव वाला भी होता है। पाकिस्तान के खिलाफ मैच के लिए दर्शकों में भी उत्सुकता रहती है। अब न सही, आगे तो उसके खिलाफ हॉकी मैदान पर मुलाकात होगी।

पुरुष हॉकी एशिया कप, राजगीर

शुक्रवार: भारत बनाम चीन, दोपहर 3 बजे से

YuvaSahakar Desk

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