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‘खेलो भारत नीति 2025’ से बदलेगी खेलों की तकदीर व तस्वीर

नई खेल नीति को भारत की एथलेटिक संस्कृति को मजबूत करने और राष्ट्र को एक प्रमुख वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की अहम कोशिश के रूप में देखा जा सकता है। इसका मकसद एक मजबूत एथलीट केंद्रित पारिस्थितिकी तंत्र बनाना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और खेलों को रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करना है।

भारत को वर्ष 2047 तक खेलों में दुनिया के शीर्ष पांच देशों में पहुंचाने के लक्ष्य के साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘खेलो भारत नीति 2025’ को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे भारत को खेलों में दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शामिल करने की रणनीतिक पहल बताया। पहले इसे राष्ट्रीय खेल नीति (एनएसपी) कहा जाता था जिसे 1984 में पहली बार पेश किया गया था। ‘खेलो भारत नीति 2025’ अब 2001 की राष्ट्रीय खेल नीति की जगह लेगी। इस नीति में प्रधानमंत्री के भारत को 2047 तक ऐसा राष्ट्र बनाने, जो न केवल विकसित हो, बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ तथा अग्रणी हो, के सपने की झलक साफ दिखाई देती है। नई नीति भारत की खेलों में तकदीर व तस्वीर बदल देगी। यह भारत को एक वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में स्थापित करने तथा 2036 के ओलंपिक खेलों सहित अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में एक मजबूत दावेदार के रूप में स्थापित करने के लिए एक दूरदर्शी और रणनीतिक रोडमैप प्रस्तुत करती है। 

केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने और खेलों का केंद्र बनने के भारत के प्रयासों के लिए 1 जुलाई, 2025 का दिन ऐतिहासिक है।’ खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘खेलो भारत नीति 2025 जमीनी स्तर पर खेल संस्कृति को बढ़ावा देने, बुनियादी ढांचे एवं खिलाड़ियों के विकास का समर्थन करने अैर भारत को वैश्विक खेलों में एक मजबूत ताकत के रूप में स्थापित करने के लिए एक रणनीतिक रुपरेखा तैयार करेगी।’ केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए बताया, ‘खेलो भारत नीति 2025 को बीते दस बरस के अनुभव और विश्लेषण के आधार पर तैयार किया गया है। इसका मकसद भारत को 2047 तक दुनिया के शीर्ष पांच देशों में शामिल कराना है। नई नीति खेलों से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं के लिए एक मजबूत ढांचा मुहैया कराएगी। इसके तहत खेलों को पर्यटन और आर्थिक विकास से जोड़ा जाएगा। खेलों को स्कूली पाठयक्रम में बेहतर तरीके से जोड़ा जाएगा। विश्व स्तरीय खेल ढांचा तैयार करने के साथ जमीनी स्तर से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान कर उन्हें बेहतरीन कोचिंग दी जाएगी।’ 

नई खेल नीति को भारत की एथलेटिक संस्कृति को मजबूत करने और राष्ट्र को एक प्रमुख वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की अहम कोशिश के रूप में देखा जा सकता है। इसका मकसद एक मजबूत एथलीट केंद्रित पारिस्थितिकी तंत्र बनाना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और खेलों को रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करना है। यह नीति रणनीति, गुणवत्ता, समावेशन, बुनियादी ढांचे की पहुंच और राष्ट्रव्यापी सामुदायिक भागीदारी को प्राथमिकता देती है। इसकी मदद से भारत एक विश्व स्तरीय खेल राष्ट्र बन सकता है जिससे अधिक स्वस्थ, अधिक सक्रिय और अधिक मजबूत नागरिक तैयार होंगे। खेलो भारत नीति 2025 विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, नीति आयोग, राज्य सरकारों, राष्ट्रीय खेल संघों (एनएसएफ), एथलीटों, डोमेन विशेषज्ञों और सार्वजनिक हितधारकों से जुड़े व्यापक परामर्श का नतीजा है। 

खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते रहे हैं पीएम

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया है, चाहे वह आईसीसी टी20 क्रिकेट विश्व कप जीतने वाली टीम हो या फिर ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाले खिलाड़ी हों। बीते बरस रोहित शर्मा की अगुआई में जब भारत ने टी20 विश्व कप का खिताब जीता था, तो पूरी टीम को अपने आवास पर बुलाकर उनका दिल खोल कर स्वागत किया था और बधाई दी थी। जबकि आईसीसी वनडे विश्व कप के फाइनल में हारने पर पूरी टीम को बुलाकर उनका हौसला बढ़ाते हुए कहा था कि आप बहुत बढ़िया खेले, हार जीत खेल का हिस्सा है। इसी तरह, हरमनप्रीत सिंह की अगुआई में 2024 के पेरिस ओलंपिक में लगातार दूसरी बार कांसा जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम की सराहना करने के साथ अगले ओलंपिक में और बेहतर प्रदर्शन की कामना कर खिलाड़ियों से बराबर सीधा संवाद किया। 

खेलो भारत नीति 2025 के पांच प्रमुख स्तंभ

1. वैश्विक मंच पर उत्कृष्टताः इसका मसकसद बुनियादी स्तर से लेकर उच्च स्तर तक खेल कार्यक्रमों को मजबूत बनाना, प्रतिभाओं की जल्द पहचान और पोषण के लिए तंत्र बनाना है। साथ ही, प्रतिस्पर्धी लीगों और प्रतियोगिताओं की स्थापना को बढ़ावा देना, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में खेल संरचना का विकास करना, प्रशिक्षण, कोचिंग और समग्र एथलीट समर्थन के लिए विश्व स्तरीय प्रणालियां बनाना, राष्ट्रीय खेल संघों की क्षमता और प्रशासन को बढ़ाना शामिल है। एथलीटों के प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए खेल विज्ञान, चिकित्सा और प्रौद्योगिकी अपनाने को प्रोत्साहित करना, प्रशिक्षकों, तकनीकी अधिकारियों और सहायक कर्मचारियों सहित खेल कर्मियों को प्रशिक्षित और विकसित भी इस नीति के माध्यम से किया जाएगा। 

2. आर्थिक विकास के लिए खेलः खेलो भारत नीति 2025 खेलों की आर्थिक क्षमता को मान्यता देती है। इसका मकसद खेल पर्यटन को बढ़ावा देना तथा प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आयोजनों को भारत की ओर आकर्षित करना है। खेल विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के साथ इसमें स्टार्टअप और उद्यमशीलता को भी बढ़ावा दिया जाएगा। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी), कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) और नवीन वित्त पोषण पहलों के माध्यम से निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने की भी इसमें रणनीति बनाई गई है।

3. सामाजिक विकास के लिए खेलः नई खेल नीति सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने में खेलों की भूमिका पर जोर देती है। इसका मकसद केंद्रित कार्यक्रमों के जरिये महिलाओं, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, जनजातीय समुदायों और विकलांग व्यक्तियों की भागीदारी को बढ़ाना, स्वदेशी एवं पारंपरिक खेलों को पुनर्जीवित करना एवं बढ़ावा देना है। शिक्षा में खेलों को एकीकृत करके स्वयंसेवा को प्रोत्साहित करना, दोहरे करियर की राह आसान बनाकर खेलों को एक व्यवहार्य करियर विकल्प के रूप में स्थापित करना, खेलों के माध्यम से भारतीय प्रवासियों को शामिल करना भी इसका उद्देश्य है।

4. खेल एक जन आंदोलनः खेलों को राष्ट्रीय आंदोलन बनाने के लिए नई नीति का मकसद है राष्ट्रव्यापी अभियानों और समुदाय-आधारित कार्यक्रमों के माध्यम से जन भागीदारी और फिटनेस की संस्कृति को बढ़ावा देना। स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों आदि के लिए फिटनेस सूचकांक शुरू करना और खेल सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुंच बढ़ाने की भी इसमें पहल की गई है।

5. शिक्षा के साथ एकीकरणः राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप खेलों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने, खेल शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों और शारीरिक शिक्षा अध्यापकों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान करने का नई नीति में प्रावधान किया गया है।

YuvaSahakar Desk

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