भारत (India) में इस बार मानसून (Monsoon) ने न केवल समय पर दस्तक दी, बल्कि अब तक औसत से 2 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है। इस बेहतर वर्षा का प्रत्यक्ष असर देश के प्रमुख जलाशयों पर देखने को मिल रहा है। सेंट्रल वॉटर कमीशन (CWC) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देश के 161 बड़े जलाशयों (Reservoir) में इस समय कुल 132.398 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) पानी स्टोर है, जो कुल क्षमता (182.496 BCM) का 72.55 प्रतिशत है। यह स्तर न केवल पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर है, बल्कि पिछले 10 वर्षों के औसत से भी अधिक है।
दक्षिण भारत में रिकॉर्ड जलस्तर
दक्षिण भारत के कई राज्यों में जलाशयों की स्थिति बेहद सुकून देने वाली है। गोवा और मिजोरम के एकमात्र जलाशय पूरी तरह भर चुके हैं, जबकि त्रिपुरा और तमिलनाडु में जल स्तर 95 प्रतिशत से अधिक है। कर्नाटक के जलाशयों में 81 प्रतिशत, केरल में 73 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश में 75.49 प्रतिशत पानी संग्रहित है। हालांकि, तेलंगाना अभी भी पीछे है, जहां जलाशयों में 52.14 प्रतिशत भंडारण दर्ज किया गया है।
उत्तर भारत में भी सुधार
पिछले वर्ष तक जल संकट से जूझ रहे उत्तर भारत के जलाशयों में इस बार स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। क्षेत्र के 11 प्रमुख जलाशयों में औसतन 72 प्रतिशत पानी भरा है। राजस्थान में जल स्तर 85 प्रतिशत, पंजाब में 64 प्रतिशत और हिमाचल प्रदेश में 68 प्रतिशत पहुंच चुका है। उत्तराखंड में जलाशयों का जलस्तर अपेक्षाकृत कम, लगभग 57 प्रतिशत, है। इन आंकड़ों से संकेत मिलता है कि खरीफ के साथ-साथ रबी फसलों के लिए भी पर्याप्त जल उपलब्ध रहेगा।
पूर्वी भारत की स्थिति
पूर्वी भारत के 27 प्रमुख जलाशयों में इस समय कुल क्षमता का 55 प्रतिशत पानी मौजूद है। बिहार में जल स्तर 77 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 68 प्रतिशत है। पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा और मिजोरम में जलाशय लगभग पूरी तरह भर चुके हैं, जिससे वहां की कृषि और जल आपूर्ति को बड़ी राहत मिली है। हालांकि, ओडिशा में जल स्तर अपेक्षाकृत कम है।
पश्चिम भारत में मजबूत स्थिति
पश्चिम भारत में भी जलाशयों का जलस्तर संतोषजनक है। गोवा के जलाशय पूरी तरह भर चुके हैं और महाराष्ट्र के बांधों में 85 प्रतिशत से अधिक भंडारण हो चुका है। गुजरात में यह स्तर लगभग 65 प्रतिशत है, जो पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर है।
मध्य भारत में अच्छा भंडारण
मध्य भारत के जलाशयों में औसतन 72.62 प्रतिशत पानी भरा है। मध्य प्रदेश में 75.8 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 73 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में लगभग 70 प्रतिशत भंडारण दर्ज किया गया है। यह स्थिति आने वाले महीनों में सिंचाई और पेयजल आपूर्ति दोनों के लिए सकारात्मक मानी जा रही है।
राज्य | जलस्तर (%) |
---|---|
मध्य प्रदेश | 75.8% |
छत्तीसगढ़ | 73% |
उत्तर प्रदेश | लगभग 70% |
उत्तराखंड | 57% |
कर्नाटक | 81% |
केरल | 73% |
आंध्र प्रदेश | 75.49% |
तेलंगाना | 52.14% |
मौसम में बदलाव की संभावना
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, अगस्त में सामान्य और सितंबर में औसत से अधिक वर्षा होने का अनुमान है, जिससे खरीफ फसलों को सीधा लाभ मिलेगा। अक्टूबर में शुरू होने वाली रबी फसलों के लिए भी पर्याप्त जल उपलब्ध रहेगा। हालांकि, मौसम वैज्ञानिक जेसन निकोल्स ने चेतावनी दी है कि भारतीय महासागर डाइपोल (IOD) नकारात्मक हो गया है, जिससे दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी में देरी हो सकती है। साथ ही, उत्तर-पूर्व मानसून के भी देर से आने की संभावना है। यह स्थिति मौसम के मिजाज में बदलाव ला सकती है, जिसका असर कृषि और जल प्रबंधन पर पड़ सकता है।