केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार परंपरागत बीजों के संरक्षण के लिए छोटे किसानों को अनुबंध से जोड़ेगी, ताकि उन्हें इस प्रक्रिया से आर्थिक लाभ प्राप्त हो सके। नई दिल्ली में सहकारिता मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की दूसरी बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि मोदी सरकार सहकारी समितियों को केवल सामाजिक संगठनों तक सीमित नहीं रखना चाहती, बल्कि उन्हें व्यावसायिक और प्रतिस्पर्धी इकाइयों में बदलने का लक्ष्य रखती है।
शाह ने बताया कि अगले पांच वर्षों में दो लाख बहुउद्देशीय सहकारी समितियों के गठन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिनमें से अब तक 35,395 समितियां स्थापित हो चुकी हैं। इनमें कृषि ऋण, डेरी, बीज संरक्षण, और जैविक उत्पादों से संबंधित समितियां शामिल हैं। भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीसीसीएल) परंपरागत बीजों के संरक्षण, संग्रहण और उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अब छोटे किसानों को भी इस प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा, ताकि वे इसका प्रत्यक्ष लाभ उठा सकें।
उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र भूमिहीन और पूंजीविहीन व्यक्तियों के लिए सबसे बड़ा अवसर प्रदान करता है। सरकार ने हाल के वर्षों में तीन प्रमुख बहु-राज्यीय सहकारी समितियों की स्थापना की है: राष्ट्रीय सहकारी आर्गेनिक लिमिटेड (एनसीओएल) जैविक उत्पादों की प्रमाणिकता और विपणन सुनिश्चित करती है, भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड बीज संरक्षण को बढ़ावा देती है, और राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड किसानों के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने में सहायता करती है। इन प्रयासों से किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त हो रहा है।
शाह ने परामर्शदात्री समिति के सदस्यों से अपील की कि वे अपने-अपने राज्यों में डेरी क्षेत्र को मजबूत करने के लिए विशेष प्रयास करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने और उनके उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।