NCDC (राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम) की योजनाएं आज देशभर में सहकारी संस्थाओं को नई मजबूती दे रही हैं। ‘युवा सहकार’, ‘आयुष्मान सहकार’, ‘डेयरी सहकार’, ‘नंदिनी सहकार’, ‘स्वयं शक्ति सहकार’ और ‘दीर्घावधि कृषक पूंजी सहकार’ जैसी प्रमुख योजनाओं के जरिए एनसीडीसी ने देश के अलग-अलग राज्यों में हजारों करोड़ रुपये की सहायता दी है।
युवा सहकार योजना के तहत नए विचारों वाली सहकारी संस्थाओं को प्रोत्साहन मिल रहा है। इस योजना में अब तक 12 राज्यों की 34 सहकारी संस्थाओं को करीब 49.47 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई, लेकिन केवल 4.21 करोड़ रुपये ही अब तक बांटे गए हैं। उत्तराखंड को सबसे ज्यादा 40 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली, लेकिन उन्हें सिर्फ 35 लाख रुपये ही मिले — जो यह दिखाता है कि धनराशि को बांटने में कुछ अड़चनें हैं।
आयुष्मान सहकार योजना, जो आयुष समेत स्वास्थ्य से जुड़ी सहकारी संस्थाओं को मदद देती है, में 9 संस्थाओं को कुल 161.90 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है, लेकिन अभी तक केवल 43.19 करोड़ रुपये बांटे गए हैं। इसमें केरल सबसे आगे रहा, जहां 108.96 करोड़ की मंजूरी में से 26.25 करोड़ की राशि दी गई।
नंदिनी सहकार, जो महिलाओं की सहकारी संस्थाओं को सशक्त करने के लिए बनाई गई है, अभी तक किसी भी राज्य में लागू नहीं हो पाई है। यह नीति-निर्माताओं के लिए सोचने का विषय बन सकता है।
डेयरी सहकार योजना, जो दूध से जुड़ी सहकारी संस्थाओं को आधुनिक बनाने के लिए है, में 16 संस्थाओं को 162.28 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई। पर दिलचस्प बात यह है कि 177.72 करोड़ रुपये बांट दिए गए हैं — संभव है कि यह पहले की योजनाओं या अधूरी फंडिंग का हिस्सा हो।
गुजरात में सबसे ज्यादा 13 डेयरी सहकारी संस्थाओं को 155.41 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है, पर अब तक केवल 29.13 करोड़ रुपये ही मिले हैं। तमिलनाडु, तेलंगाना और बिहार जैसे राज्यों को बिना औपचारिक मंजूरी के भी अच्छा खासा पैसा मिला है, जिससे यह लगता है कि कहीं न कहीं अतिरिक्त या अलग फंडिंग का रास्ता अपनाया गया है।
स्वयं शक्ति सहकार योजना, जो महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि सहकारी संस्थाओं के माध्यम से ऋण देती है, सबसे बड़ी योजना बनकर उभरी है। इसमें 6 संस्थाओं को कुल 5,560.33 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई और 3,564.33 करोड़ रुपये बांटे गए हैं। इसमें आंध्र प्रदेश को सबसे ज्यादा 4,000 करोड़ की मंजूरी मिली और 2,800 करोड़ की राशि दी गई। केरल को 1,300 करोड़ की मंजूरी में से 744 करोड़ मिल चुके हैं।
दीर्घावधि कृषक पूंजी सहकार योजना के तहत लंबी अवधि का कृषि ऋण देने का काम किया जा रहा है। इसमें 5 संस्थाओं को कुल 5,400.76 करोड़ रुपये मंजूर हुए, जिसमें से 2,237.36 करोड़ की राशि बांटी गई। अकेले तेलंगाना को 5,000 करोड़ की मंजूरी और 2,000 करोड़ की फंडिंग मिल चुकी है।
इसके अलावा, समुद्री और मत्स्य क्षेत्र में भी NCDC की भूमिका अहम रही है। महाराष्ट्र, गुजरात और केरल में समुद्र में मछली पकड़ने वाली नावों और प्रोसेसिंग यूनिट्स के लिए 139.37 करोड़ रुपये की योजनाएं मंजूर हुईं, लेकिन अब तक केवल 33.07 करोड़ रुपये ही मिले हैं।