रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कृषि संबंधी कार्यों को बढ़ावा देने के लिए कोलेटरल फ्री या रियायती दरों पर दिए जाने वाले ऋण की सीमा बढ़ा दी है। राज्य तथा जिला केंद्रीय सहकारी बैंको को यह दिशा निर्देश दिया गया है कि नई सीमा तक ऐसे ऋणों से किसानों से किसी भी तरह की गारंटी न मांगी जाएं। किसान के लिए लागू की गई ऋण की नई सीमा एक जनवरी 2025 से लागू कर दी जाएगी।
हाल ही में आरबीआई के गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोलेटरल फ्री या बिना किसी गारंटी के दिए जाने वाले ऋण की सीमा पिछली बार वर्ष 2019 में बढाई गई थी, कृषि इनपुट लागत और मुद्रास्फीति में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए एक बार कोलेटरल फ्री ऋण की सीमा को बढ़ाया गया है अब किसानों को 1.6 लाख रुपए की जगह दो लाख रुपए तक का ऋण उपलब्ध हो पाएगा, जिसके लिए उन्हें किसी तरह की गारंटी नहीं देनी होगी।
सभी बैंको इस संदर्भ में दिशा निर्देश दिए गए हैं कि ऋण की नई सीमा को लागू करने में यदि किसानों को किसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो उसका जल्द ही निवारण किया जाए, साथ ही इसका पर्याप्त तरीके से प्रचार प्रसार भी किया जाएं, जिससे किसानों के बीच झंझट मुक्त ऋण की जानकारी पहुंचाई जा सके। आरबीआई गर्वनर ने कहा कि कोलेटरल फ्री ऋण की सीमा बढ़ने से छोटे और सीमांत किसानों के लिए ऋण की उपलब्धता में वृद्धि होगी। इस क्षेत्र कदम से क्षेत्र से कृषि क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिलेगा और किसानों पर आर्थिक बोझ कम होगा। वर्ष 2019 में आरबीआई ने कोलेटरल फ्री ऋण को एक लाख से बढ़ाकर 1.6 लाख रुपए कर दिया गया था, जिसे अब 1.6 लाख से बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया गया है।
मालूम हो कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंको और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए 27 लाख करोड़ रुपए के महत्वकांक्षी कृषि ऋण वितरण का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो कि वर्ष 2023-24 के लक्ष्य की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक है। योजना के दायरे में किसान क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ उठा रहे किसानों को शामिल किया जाएगा। केसीसी किसानों को समय पर ऋण उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, 30 जून 2023 तक 7.4 करोड़ से अधिक सक्रिय केसीसी खाते थे, जिन पर कुल बकाया ऋण की राशि 8.9 लाख करोड़ रुपए था।