भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो गया है. विपक्षी दल सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं। INDIA गठबंधन के दलों ने उच्च सदन में विपक्ष ने इस संबंध में नोटिस दिया है। मंगलवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए अनुच्छेद 67बी के तहत नोटिस दिया गया। राज्यसभा के सभापति के कामकाज से नाराज विपक्ष होकर अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हैं।
उपराष्ट्रपति के खिलाफ विपक्ष द्वारा जो अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, उसमें सभापति पर सदन में पक्षपातपूर्ण कामकाज का आरोप लगाया गया है। अविश्वास प्रस्ताव के संबंध में करीब 70 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और अन्य कई छोटे दल इस प्रस्ताव को लेकर एकजुट हैं।इस प्रस्ताव पर सोनिया गांधी और किसी भी दल के फ्लोर लीडर्स ने हस्ताक्षर नहीं किया है।
कांग्रेस की तरफ से पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और प्रमोद तिवारी के साथ ही तृणमूल कांग्रेस के नदीम उल हक और सागरिका घोष ने यह प्रस्ताव राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा। विपक्षी पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव में आरोप लगाया है कि उनको बोलने नहीं दिया जाता और सभापति जी पक्षपात करते हैं। इस अविश्वास प्रस्ताव में विपक्षी पार्टियों ने एक दिन पहले का उदाहरण देते हुए कहा है कि ट्रेजरी बेंच के सदस्यों को बोलने का मौका दिया गया लेकिन जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बोल रहे थे, उनको रोका गया।
हालांकि इस अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष पूरी तरह एकजुट नहीं है। उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से बीजू जनता दल ने किनारा कर लिया है। बीजेडी के राज्यसभा सांसद डॉक्टर सस्मित पात्रा ने कहा है कि यह प्रस्ताव INDIA गठबंधन की ओर से लाया गया है और BJD इस गठबंधन का हिस्सा नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि बीजेडी इस प्रस्ताव पर तटस्थ रहेगी।
विपक्ष कई मुद्दों को लेकर उपराष्ट्रपति धनखड़ से नाराज है। इसमें सबसे ताजा मामला यह है कि उन्होंने उच्च सदन में सत्ता पक्ष के सदस्यों को कांग्रेस-सोरोस संबंध का मुद्दा उठाने की अनुमति दी। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा के सभापति पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था। इससे पहले अगस्त में भी विपक्षी गठबंधन को प्रस्ताव पेश करने के लिए नेताओं के हस्ताक्षर की जरूरत थी, लेकिन उस समय वे आगे नहीं बढ़े लेकिन अब शीतकालीन सत्र में विपक्ष अविश्वास लेकर आया है।