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स्टार्टअप का हब बनेगा उत्तर प्रदेश, ODOP की तर्ज पर हर जिले में स्थापित होंगे 500 स्टार्टअप

उत्तर प्रदेश सरकार ने युवाओं को जिले में ही रोजगार देने और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए हर जिले में 500 स्टार्टअप विकसित करने का लक्ष्य तय किया है। ओडीओपी मॉडल से प्रेरित इस स्टार्टअप मिशन के पहले चरण में 35,000 स्टार्टअप स्थापित किए जाएंगे, जो राज्य को इनोवेशन और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाएंगे।

Published: 09:00am, 20 Jul 2025

उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक स्टार्टअप मिशन की शुरुआत की है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत, प्रत्येक जिले में कम से कम 500 स्टार्टअप स्थापित किए जाएंगे, जो ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ODOP) की तर्ज पर स्थानीय पहचान, हस्तशिल्प, और जीआई टैग वाले उत्पादों पर आधारित होंगे। पहले चरण में कुल 35,000 स्टार्टअप शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है, जो युवाओं को उनके जिले में ही रोजगार के अवसर प्रदान करेगा। यह मिशन उत्तर प्रदेश को नवाचार और उद्यमिता का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस स्टार्टअप मिशन का कार्यान्वयन उत्तर प्रदेश के आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा किया जाएगा। यह योजना न केवल नोएडा और लखनऊ जैसे बड़े शहरों तक सीमित रहेगी, बल्कि छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी विस्तार करेगी। इसका उद्देश्य स्थानीय कारीगरों, छोटे उद्यमियों, और युवाओं को वैश्विक मंच प्रदान करना है। उदाहरण के लिए, कानपुर, अयोध्या, वाराणसी, और गोरखपुर जैसे शहरों को आईटी और औद्योगिक केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा, जबकि छोटे कस्बों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा।

वर्तमान में, उत्तर प्रदेश में लगभग 15,000 DPIIT-पंजीकृत स्टार्टअप हैं, और गैर-सरकारी अनुमानों के अनुसार यह संख्या 27,000 तक पहुंच चुकी है। सरकार अब प्रत्येक जिले में कम से कम एक इन्क्यूबेटर स्थापित करने की योजना बना रही है। वर्तमान में, 70 इन्क्यूबेटरों को सरकारी सहायता प्राप्त है, और इस संख्या को सभी 75 जिलों तक विस्तारित किया जाएगा। ये इन्क्यूबेटर स्टार्टअप विशेषज्ञों और ब्यूरोक्रेट्स की टीमों के साथ मिलकर युवा उद्यमियों को मार्गदर्शन, प्रशिक्षण, और वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे।

उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति 2020 (संशोधन 2022) के तहत पहले ही 10,000 स्टार्टअप्स का लक्ष्य रखा गया था, और अब इस मिशन के साथ इसे और विस्तार दिया जा रहा है। इस नीति के तहत स्टार्टअप्स को कई तरह के प्रोत्साहन प्रदान किए जाते हैं, जैसे:

  • सस्टेनेंस भत्ता: विचार चरण में स्टार्टअप्स को प्रति माह 17,500 रुपये की सहायता, प्रति वर्ष 25 स्टार्टअप्स तक।

  • प्रोटोटाइप अनुदान: न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (MVP) तैयार करने के लिए 5 लाख रुपये तक की सहायता।

  • सीड कैपिटल/मार्केटिंग सहायता: 7.5 लाख रुपये तक की सहायता, तीन किश्तों में।

  • पेटेंट प्रतिपूर्ति: भारतीय पेटेंट के लिए 2 लाख रुपये और अंतरराष्ट्रीय पेटेंट के लिए 10 लाख रुपये तक।

  • इवेंट भागीदारी: राष्ट्रीय आयोजनों के लिए 50,000 रुपये और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए 1 लाख रुपये की सहायता।

इसके अतिरिक्त, महिलाओं, दिव्यांगों, ट्रांसजेंडर, और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन प्रदान किए जाते हैं, ताकि समावेशी विकास को बढ़ावा मिले।

आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री श्री सुनील कुमार शर्मा ने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि युवा अपने ही जिले में काम करके न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हों, बल्कि प्रदेश की परंपराओं और उत्पादों को दुनिया तक पहुंचाएं। यह स्टार्टअप मिशन उत्तर प्रदेश को नवाचार, उद्यमिता और आत्मनिर्भरता का मॉडल राज्य बनाएगा।

यह मिशन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अलावा, सरकार ने MYUVA योजना को तेज करने के निर्देश दिए हैं, जिसके तहत हर साल 1 लाख युवाओं को ब्याज-मुक्त ऋण और उद्योग प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

YuvaSahakar Desk

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