पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने “प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना” को मंज़ूरी दे दी है। यह योजना 2025-26 से अगले छह वर्षों तक 100 जिलों में लागू की जाएगी। इसका मकसद कृषि उत्पादकता बढ़ाने, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने पर जोर देना है।
यह योजना नीति आयोग के आकांक्षी जिलों के कार्यक्रम से प्रेरित है और कृषि एवं उससे जुड़े क्षेत्रों के लिए केंद्र सरकार की पहली विशिष्ट योजना है। इसके तहत पंचायत और प्रखंड स्तर पर कटाई के बाद भंडारण की सुविधा को बेहतर बनाया जाएगा, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार होगा और किसानों को आसानी से दीर्घकालिक व अल्पकालिक ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
इस योजना के तहत चयनित 100 जिलों की पहचान तीन प्रमुख मानकों—कम उत्पादकता, कम फसल सघनता और अल्प ऋण वितरण—के आधार पर की जाएगी। हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से कम से कम एक जिले को शामिल किया जाएगा। जिला चयन शुद्ध फसल क्षेत्र और परिचालन जोत के हिस्से के आधार पर किया जाएगा।
योजना के प्रभावी संचालन के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियां बनाई जाएंगी। प्रत्येक जिले में “जिला धन-धान्य समिति” बनाई जाएगी, जिसमें प्रगतिशील किसानों को भी सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा। यह समिति जिला स्तरीय कृषि योजना को अंतिम रूप देगी, जो राष्ट्रीय लक्ष्यों जैसे कि जल-संरक्षण, मृदा-स्वास्थ्य सुधार, प्राकृतिक एवं जैविक खेती और कृषि आत्मनिर्भरता पर आधारित होगी।
योजना की निगरानी मासिक आधार पर डैशबोर्ड के जरिए की जाएगी, जिसमें 117 प्रमुख कार्य निष्पादन संकेतकों को शामिल किया गया है। नीति आयोग इन योजनाओं की समीक्षा करेगा, जबकि केंद्रीय नोडल अधिकारी नियमित रूप से जिलों में जाकर प्रगति की जांच करेंगे।