देश में महंगाई नियंत्रण की दिशा में राहत भरी खबर सामने आई है। जून 2025 में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर घटकर (-)0.13 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह स्तर पिछले 20 महीनों में सबसे कम है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई गिरावट इस गिरावट का मुख्य कारण बताई जा रही है।
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मई 2025 में थोक महंगाई दर 0.39 प्रतिशत थी। इस वर्ष पहली बार डब्ल्यूपीआई आधारित महंगाई नकारात्मक श्रेणी में पहुंची है, जिससे महंगाई के मोर्चे पर सरकार को राहत मिली है।
खाद्य वस्तुओं में गिरावट प्रमुख वजह
मंत्रालय के अनुसार, जून में खाद्य वस्तुओं की थोक महंगाई दर -3.75 प्रतिशत रही, जबकि मई में यह -1.56 प्रतिशत दर्ज की गई थी। विशेष रूप से सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई। जून में सब्जियों पर महंगाई दर -22.65 प्रतिशत रही, जो मई में -21.62 प्रतिशत थी।
दालों पर महंगाई दर -14.09 प्रतिशत रही, जबकि अंडे, मांस और मछली की महंगाई दर -0.29 प्रतिशत रही। गेहूं पर महंगाई 3.77 प्रतिशत दर्ज की गई। वहीं, आलू और प्याज की कीमतों में गिरावट क्रमशः -32.67 प्रतिशत और -33.49 प्रतिशत रही, जो इस गिरावट में निर्णायक भूमिका निभा रही है।
ईंधन और प्राथमिक वस्तुएं भी सस्ती हुईं
इसके साथ ही ईधन और बिजली क्षेत्र में भी राहत दिखाई दी है। इस श्रेणी में महंगाई दर जून में -2.65 प्रतिशत रही, जबकि मई में यह -2.27 प्रतिशत थी। प्राथमिक वस्तुओं की श्रेणी में महंगाई दर घटकर -3.38 प्रतिशत हो गई, जो कि मई में -2.02 प्रतिशत थी। हालांकि, मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों में मामूली वृद्धि देखी गई और जून में इस श्रेणी में महंगाई दर 1.97 प्रतिशत रही।
आरबीआई ने घटाया महंगाई अनुमान
बीते महीने हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर श्री संजय मल्होत्रा ने वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा महंगाई अनुमान 4 प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया था। उन्होंने कहा कि पिछले छह महीनों में महंगाई में निरंतर गिरावट आई है और अब यह रिज़र्व बैंक के अक्टूबर 2024 के सहनशीलता बैंड से भी नीचे आ गई है।
गवर्नर के अनुसार, मध्यम अवधि में महंगाई का स्तर 4 प्रतिशत के लक्ष्य से कुछ हद तक कम रह सकता है, जिससे मौद्रिक नीति में स्थिरता और संतुलन सुनिश्चित होगा। थोक महंगाई दर में इस गिरावट से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।