प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित रोजगार मेले को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न सरकारी विभागों में नवनियुक्त किए गए 51,000 से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित किए। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने देश के युवाओं के लिए नए रोजगार अवसरों और सरकार की योजनाओं की जानकारी दी।
पीएम मोदी ने हाल ही में संपन्न हुई अपनी पांच दिवसीय विदेश यात्रा का जिक्र किया। इस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने नवाचार, स्टार्टअप और अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार निजी क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चला रही है। इनमें “रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना” को हाल ही में मंजूरी दी गई है, जिसके तहत पहली बार नौकरी पाने वाले युवाओं को 15,000 रुपये की राशि दी जाएगी। इस योजना के लिए सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपये का बजट तय किया है और इससे 3.5 करोड़ नए रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में बीते 11 वर्षों में पांच गुना से ज्यादा की वृद्धि हुई है और आज यह क्षेत्र 11 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। पहले देश में केवल 2-4 मोबाइल निर्माण इकाइयां थीं, जो अब बढ़कर 300 हो गई हैं और लाखों युवाओं को रोजगार दे रही हैं।
पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना का ज़िक्र करते हुए बताया कि इसके तहत अब तक 4 करोड़ पक्के घर बनाए जा चुके हैं और 3 करोड़ निर्माणाधीन हैं। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बनाए गए 12 करोड़ शौचालयों से भी लाखों नलसाजों और निर्माण श्रमिकों को रोजगार मिला है।
उन्होंने उज्ज्वला योजना की भी चर्चा की, जिसके तहत 10 करोड़ से अधिक एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं। इससे बॉटलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और वितरण नेटवर्क में विस्तार हुआ है, और हजारों रोजगार सृजित हुए हैं।
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इससे न केवल घरेलू बिजली बिल कम हो रहे हैं, बल्कि सौर ऊर्जा से जुड़े तकनीशियनों, इंजीनियरों और पैनल निर्माताओं के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
ग्रामीण महिलाओं के लिए शुरू की गई नमो ड्रोन दीदी योजना का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना ने महिलाओं को ड्रोन पायलट के रूप में प्रशिक्षित कर सशक्त बनाया है।
पीएम मोदी ने बताया कि देश 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है, जिसमें से 1.5 करोड़ महिलाएं पहले ही इस उपलब्धि को प्राप्त कर चुकी हैं। बैंक सखी, बीमा सखी, कृषि सखी और पशु सखी जैसी योजनाएं महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही हैं।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना और प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के जरिए भी पारंपरिक कारीगरों, फेरीवालों और रेहड़ी-पटरी वालों को आर्थिक सहायता, प्रशिक्षण और उपकरण उपलब्ध कराकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है।