प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को आयोजित केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए 1.07 लाख करोड़ रुपये की “रोजगार प्रोत्साहन योजना” (Employment Linked Incentive – ELI) को मंजूरी दी गई। यह योजना कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के माध्यम से संचालित की जाएगी और इसका उद्देश्य दो वर्षों में 3.5 करोड़ नौकरियों का सृजन करना है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि यह योजना प्रधानमंत्री की पांच प्रमुख योजनाओं के पैकेज का हिस्सा है, जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2024-25 में की गई थी। इस पैकेज का कुल परिव्यय 2 लाख करोड़ रुपये है।
पहली बार नौकरी करने वालों के लिए विशेष लाभ
ELI योजना के पहले भाग के तहत पहली बार कार्यबल में शामिल होने वाले कर्मचारियों को एक महीने के वेतन के बराबर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा ₹15,000 होगी। यह भुगतान दो किस्तों में किया जाएगा—पहली किस्त छह महीने की सेवा पूरी करने पर और दूसरी किस्त 12 महीने की सेवा तथा वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम को पूरा करने पर दी जाएगी।
इस योजना का लाभ उन कर्मचारियों को मिलेगा जिनकी मासिक वेतन ₹1 लाख तक है। योजना के तहत कुल 1.92 करोड़ ऐसे कर्मचारियों को लाभ देने का लक्ष्य है।
बचत को बढ़ावा देने पर भी जोर
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रोत्साहन राशि का एक हिस्सा किसी बचत साधन या जमा खाते में रखा जाएगा, ताकि कर्मचारियों में बचत की आदत विकसित की जा सके। यह राशि एक निश्चित अवधि के बाद निकाली जा सकेगी। भुगतान प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) मोड के तहत ‘आधार ब्रिज भुगतान प्रणाली’ (ABPS) के माध्यम से किया जाएगा।
नियोक्ताओं को भी मिलेगा प्रोत्साहन
योजना का दूसरा भाग नियोक्ताओं के लिए है। यदि कोई नियोक्ता ₹1 लाख तक वेतन वाले अतिरिक्त कर्मचारियों को न्यूनतम छह महीने तक रोजगार देता है, तो उसे प्रति कर्मचारी प्रति माह ₹3,000 तक प्रोत्साहन मिलेगा। यह सहायता दो वर्षों तक दी जाएगी।
विनिर्माण क्षेत्र (मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर) के लिए यह प्रोत्साहन तीसरे और चौथे वर्ष तक भी बढ़ाया जा सकता है। भुगतान सीधे नियोक्ता के PAN से जुड़े बैंक खाते में किया जाएगा।
रोजगार, सुरक्षा और उद्योग को मिलेगा संबल
ELI योजना न केवल युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करेगी, बल्कि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से उन्हें जोड़कर एक सुरक्षित भविष्य भी सुनिश्चित करेगी। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को विशेष बल देने से औद्योगिक विकास को भी गति मिलेगी।
सरकार को उम्मीद है कि यह योजना भारत को रोजगार और उत्पादन दोनों के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी और ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने में सहायक सिद्ध होगी।