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7 दिन झमाझम बरसेंगे बदरा: किसानों के लिए वरदान या मुसीबत ?

भारतीय मौसम विभाग ने 30 जून से 5 जुलाई तक देश के कई राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। जहां यह बारिश खरीफ फसलों के लिए लाभकारी हो सकती है, वहीं जलभराव से फसलों को नुकसान भी संभव है। किसानों को जलनिकासी की समुचित व्यवस्था करने की सलाह दी गई है।

Published: 12:58pm, 30 Jun 2025

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने आगामी 30 जून से 5 जुलाई तक देश के कई हिस्सों में मूसलधार बारिश की चेतावनी जारी की है। इस दौरान उत्तर भारत से लेकर दक्षिण और पूर्वोत्तर तक कई राज्य मानसून की तेज़ रफ्तार से प्रभावित हो सकते हैं।

मौसम विभाग के अनुसार, धान की रोपाई के लिए यह बारिश लाभकारी हो सकती है, लेकिन अत्यधिक पानी नाजुक फसलों जैसे सब्जियों और दलहन को नुकसान पहुंचा सकता है। किसानों को ऐसी फसलों की विशेष देखभाल करने और जल निकासी नालियों को साफ रखने की सलाह दी गई है।

दिल्ली-NCR, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, असम, और छत्तीसगढ़ में अलग-अलग तारीखों पर भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई गई है।

विशेष रूप से झारखंड में 30 जून को कुछ स्थानों पर 20 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा की आशंका है। बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगातार वर्षा की संभावना है। वहीं, सिक्किम और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल में पूरे सप्ताह बादल सक्रिय रहेंगे।

उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में 29 जून से 2 जुलाई और पूर्वी हिस्से में 30 जून व 1 जुलाई को अच्छी बारिश का अनुमान है। पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ में 29 और 30 जून को भारी वर्षा की चेतावनी है। पूर्वी राजस्थान में मानसून 2 जुलाई से सक्रिय होगा और 4-5 जुलाई को बारिश तेज़ होगी।

कोंकण, गोवा, गुजरात और मध्य महाराष्ट्र के घाट क्षेत्रों में अगले 7 दिनों तक भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। पूर्वोत्तर भारत के राज्य जैसे अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में भी 2 से 5 जुलाई के बीच जोरदार बारिश का अनुमान है।

दक्षिण भारत में केरल में 30 जून, 3 और 4 जुलाई को तथा तटीय कर्नाटक में 2 से 5 जुलाई तक मूसलधार वर्षा की संभावना है। दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में भी बारिश की स्थिति अनुकूल रहेगी।

कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि वे खेतों में जल निकासी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि पानी के जमाव से फसलें खराब न हों। विशेष रूप से ऐसी फसलें जो अधिक पानी सहन नहीं कर सकतीं, उनका विशेष ध्यान रखा जाए। धान की रोपाई करने वाले किसानों के लिए यह मौसम लाभकारी हो सकता है, लेकिन सावधानी बरतना आवश्यक है।

YuvaSahakar Desk

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