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UP में सिंचाई प्रणाली का आधुनिकीकरण, MCAD योजना से लहलहाएगी किसानों की फसल

उत्तर प्रदेश में किसानों को सिंचाई की आधुनिकतम तकनीक से जोड़ने के लिए योगी सरकार ने एमसीएडी योजना लागू करने का निर्णय लिया है। 1,600 करोड़ की इस योजना के तहत खेतों तक दबावयुक्त पाइप प्रणाली (PPIN) के जरिए जल पहुंचाया जाएगा। इससे सिंचाई प्रणाली दक्ष, टिकाऊ और कम खर्चीली बनेगी। योजना से किसानों की आमदनी बढ़ेगी, जल की बचत होगी और युवाओं को भी रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

Published: 15:17pm, 26 Jun 2025

उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को पारंपरिक और खर्चीली सिंचाई पद्धतियों से मुक्ति दिलाने के लिए एक महत्वाकांक्षी कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने मॉडरेशन ऑफ कमांड एरिया डवलपमेंट एंड वॉटर मैनेजमेंट (MCAD) योजना को लागू करने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए 1,600 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की है। यह योजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत कार्यान्वित की जाएगी, जिसका मुख्य उद्देश्य हर खेत तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था को आधुनिक और टिकाऊ बनाना है। प्रेसराइज्ड पाइप इरिगेशन नेटवर्क (PPIN) जैसी उन्नत तकनीकों के उपयोग से जल उपयोग दक्षता को 90% तक बढ़ाया जाएगा, जिससे पानी की बचत, ऊर्जा की खपत में कमी, और फसल उत्पादकता में वृद्धि सुनिश्चित होगी।

योजना का स्वरूप और उद्देश्य

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के सचिव जीएस नवीन ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार, एमसीएडी योजना के तहत हर खेत तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाएगा। इस योजना में जल शक्ति मंत्रालय की दो महत्वपूर्ण इकाइयों—कमांड एरिया डवलपमेंट एंड वॉटर मैनेजमेंट (सीएडब्ल्यूएम) और एक्सीलरेटेड इरिगेशन बेनिफिट प्रोग्राम (एआईबीपी)—को एकीकृत किया गया है। योजना का पहला चरण मार्च 2026 तक पूरा होगा, जबकि दूसरा चरण 1 अप्रैल 2026 से शुरू होगा। इस योजना का उद्देश्य न केवल जल संरक्षण और दक्षता को बढ़ावा देना है, बल्कि किसानों की आय और उत्पादकता को दोगुना करने में सहायता करना भी है।

आधुनिक सिंचाई तकनीकों का उपयोग

एमसीएडी योजना के तहत पारंपरिक नहरों और बारिश पर निर्भरता को समाप्त करने के लिए प्रेसराइज्ड पाइप इरिगेशन नेटवर्क (PPIN) को अपनाया जाएगा। यह तकनीक खेतों में दबावयुक्त पाइपों के माध्यम से पानी पहुंचाएगी, जिससे जल की बर्बादी न्यूनतम होगी और 90% तक जल उपयोग दक्षता प्राप्त होगी। इस प्रणाली से ऊर्जा और पंपिंग लागत में भी उल्लेखनीय कमी आएगी, जिससे खेती अधिक किफायती और टिकाऊ बनेगी। योजना के कार्यान्वयन में आईआईटी कानपुर की तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग किया जाएगा, जिससे इसकी गुणवत्ता और प्रभावशीलता सुनिश्चित होगी।

‘एक क्लस्टर, एक फसल’ मॉडल

योजना के तहत 50 से 5,000 हेक्टेयर के क्षेत्रों में क्लस्टर बनाए जाएंगे। प्रत्येक क्लस्टर में वॉटर यूजर सोसाइटी (WUS) का गठन किया जाएगा, जो किसानों को सिंचाई प्रबंधन में सक्रिय भागीदार बनाएगा। यह मॉडल सामूहिक निर्णय लेने, पारदर्शिता, और जल की समान उपलब्धता को बढ़ावा देगा। ‘एक क्लस्टर, एक फसल’ मॉडल के तहत एक क्षेत्र में एक ही फसल को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग और उत्पादकता में वृद्धि होगी।

तकनीकी निगरानी और युवाओं की भागीदारी

एमसीएडी योजना की निगरानी राष्ट्रीय, राज्य, और जिला स्तर पर की जाएगी। केंद्रीय स्तर पर जल शक्ति मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित होगी, जबकि राज्य स्तर पर मुख्य सचिव और जिला स्तर पर जिलाधिकारी योजना के कार्यान्वयन की निगरानी करेंगे। इसके अतिरिक्त, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन (SCADA), ग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम (GIS), और सैटेलाइट डेटा जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके पानी की आपूर्ति और उपयोग पर स्मार्ट निगरानी की जाएगी।

योजना के तहत युवाओं को पाइप, पंप, सेंसर, और फिल्टर जैसी आधुनिक सिंचाई तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे न केवल तकनीकी दक्षता बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।

मेक इन इंडिया और एमएसएमई को बढ़ावा

एमसीएडी योजना के लिए आवश्यक उपकरणों, जैसे पाइप, पंप, और सेंसर, का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। इससे ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बल मिलेगा और स्थानीय सूक्ष्म, लघु, और मध्यम उद्यमों (MSME) को नए बाजार और अवसर प्राप्त होंगे। यह योजना न केवल कृषि क्षेत्र में क्रांति लाएगी, बल्कि औद्योगिक विकास को भी गति प्रदान करेगी।

योजना के लाभ

  • जल संरक्षण: PPIN तकनीक से पानी की बर्बादी न्यूनतम होगी और 90% जल उपयोग दक्षता प्राप्त होगी।

  • ऊर्जा बचत: पंपिंग और सिंचाई लागत में कमी से खेती अधिक किफायती होगी।

  • उत्पादकता में वृद्धि: सटीक जल प्रबंधन और आधुनिक तकनीकों से फसल उत्पादन बढ़ेगा।

  • आत्मनिर्भरता: वॉटर यूजर सोसाइटी और तकनीकी प्रशिक्षण से किसान आत्मनिर्भर बनेंगे।

  • रोजगार सृजन: युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण और एमएसएमई को नए अवसर मिलेंगे।

Yuvasahkar Desk

यह लेख "Yuvasahakar Desk" द्वारा लिखा गया है

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