छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले ने मत्स्य पालन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। जहां कुछ वर्ष पूर्व तक यह जिला पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों पर मत्स्य बीज के लिए निर्भर था, वहीं अब कांकेर विशेषकर पखांजूर क्षेत्र में मत्स्य बीज उत्पादन का एक समृद्ध केंद्र बन चुका है।
नील क्रांति योजना और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के प्रभावी क्रियान्वयन से जिले में अनेक नई हैचरियों और मत्स्य तालाबों का निर्माण हुआ है। इससे न केवल स्थानीय उत्पादन में वृद्धि हुई है, बल्कि गुणवत्ता भी अंतरराज्यीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी हो गई है।
पखांजूर बना मत्स्य बीज उत्पादन का केंद्र
पखांजूर क्षेत्र में बड़े स्तर पर तैयार किए जा रहे मत्स्य बीज अब छत्तीसगढ़ की सीमाओं से निकलकर आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, गुजरात और बिहार जैसे राज्यों तक पहुंच रहे हैं। यह बीज न केवल सस्ते हैं बल्कि उनकी गुणवत्ता भी बेहतर है, जो अप्रैल-मई जैसे प्रारंभिक महीनों में किसानों को मत्स्य पालन शुरू करने में सहायता करते हैं।
उत्पादन के आंकड़े
मत्स्य पालन विभाग के अनुसार, कांकेर जिले में वर्तमान में 34 मत्स्य बीज उत्पादन हैचरियां संचालित हो रही हैं। 2025-26 तक 337 करोड़ स्पॉन और 128.35 करोड़ स्टैंडर्ड फ्राय उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अब तक जिले में 192 करोड़ स्पॉन और 7.42 करोड़ स्टैंडर्ड फ्राय का उत्पादन किया जा चुका है। यहां मेजर कार्प के साथ-साथ पंगेसियस मछली के बीज भी तैयार किए जा रहे हैं।
रोज़गार और आर्थिक सशक्तिकरण
मत्स्य बीज उत्पादन ने पखांजूर क्षेत्र में लगभग 550 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान किया है। बीज उत्पादन, परिवहन और विपणन में संलग्न व्यक्ति अब स्थायी आमदनी अर्जित कर रहे हैं। इससे कांकेर न केवल राज्य में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर मत्स्य पालन के एक मॉडल के रूप में उभर रहा है।
केंद्र सरकार का लक्ष्य: 22 मिलियन टन उत्पादन
केंद्र सरकार ने मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने घोषणा की है कि देश में मछली उत्पादन को वर्तमान 17.5 मिलियन टन से बढ़ाकर 2025-26 तक 22 मिलियन टन करने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार तकनीक और निवेश विशेष ध्यान दे रही है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 20,050 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, जो मत्स्य पालन के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और मछुआरों की आय को दोगुना करने में सहायक है।
एनएफडीबी की 11वीं वार्षिक बैठक एवं स्टार्टअप कॉन्क्लेव
शनिवार को हुई राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (NFDB) की 11वीं वार्षिक आम बैठक में केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह, राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल और नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने भाग लिया। इस अवसर पर “Fisheries Startup Conclave 2.0” का उद्घाटन किया गया और 10 विजेता स्टार्टअप्स को 1-1 करोड़ रुपये के अनुदान की घोषणा की गई।