झारखंड सरकार की विश्व बैंक समर्थित जोहार परियोजना (Jharkhand Opportunities for Harnessing Rural Growth) ने ग्रामीण आजीविका और कृषि आय को सशक्त रूप से बढ़ाया है। जून 2024 में परियोजना के समापन तक, इस एकीकृत पहल ने राज्य के 17 जिलों के 68 प्रखंडों में 2.25 लाख महिला उत्पादक परिवारों को लाभ पहुंचाया। इसमें 70% वित्तपोषण विश्व बैंक के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) द्वारा और 30% राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया गया।
जोहार परियोजना ने उच्च मूल्य वाली कृषि, पशुधन, मत्स्य पालन और गैर-लकड़ी आधारित वनोपज पर केंद्रित रहकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को टिकाऊ और समावेशी विकास की दिशा में अग्रसर किया। परियोजना के 833.34 करोड़ रुपये के कुल बजट का 98% प्रभावी उपयोग कर, 2.25 लाख ग्रामीण परिवारों की आय में औसतन 30% वृद्धि की गई। इनमें से एक लाख से अधिक परिवार अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग से थे और 70,000 महिलाएं सक्रिय रूप से जुड़ी थीं।
इस दौरान 3,922 उत्पादक समूहों और 21 किसान उत्पादक संगठनों (FPO) ने कुल 205 करोड़ रुपये का व्यापार किया। 35 ग्रामीण व्यापार केंद्रों और 28 पशुधन सेवा केंद्रों ने औसतन 2 करोड़ रुपये का मासिक राजस्व अर्जित किया। 14 करोड़ रुपये की शेयर पूंजी और 3.5 करोड़ रुपये की कार्यशील ऋण पूंजी ने इन संगठनों को मजबूती प्रदान की।
सिंचाई और उत्पादन के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। 1,180 सौर लिफ्ट सिंचाई योजनाओं में से 1,131 पूर्ण हुईं, जिससे 6,648 हेक्टेयर भूमि सिंचित हुई, वहीं 1,309 पोर्टेबल सौर इकाइयों ने 2,618 हेक्टेयर में सिंचाई की। पॉलीहाउस नर्सरियों ने 2.5 करोड़ मिट्टी रहित पौधे तैयार किए। मत्स्य पालन के लिए 8,729 जल निकाय और 17 पेन कल्चर इकाइयां विकसित की गईं।
गुमला और बोकारो में लेयर और ब्रॉयलर फार्मिंग ने पशुधन क्षेत्र को मजबूती दी। 51 प्रखंडों में 48,401 परिवारों ने गैर-लकड़ी वनोपज से 25.4 करोड़ रुपये की आय अर्जित की। सखी मंडलों के माध्यम से 70,000 महिला किसानों का नेतृत्व सामने आया। जलवायु-लचीली कृषि, डिजिटल लेनदेन, और निजी क्षेत्र की भागीदारी ने जोहार को एक लाइटहाउस मॉडल में परिवर्तित कर दिया है।