बिहार ने कृषि क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। बिहार के खगड़िया जिले में 10,000वां किसान उत्पादक संगठन (FPO) पंजीकृत किया गया है। यह उपलब्धि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 में शुरू की गई FPO योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके अंतर्गत देशभर में 10,000 एफपीओ गठित करने हेतु 6,865 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता स्वीकृत की गई थी।
बिहार ने इस लक्ष्य को मात्र पांच वर्षों से भी कम समय में प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया है कि राज्य सरकार की प्रतिबद्धता, प्रभावी नीतियां और जमीनी कार्यान्वयन ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
BTDP और जीविका की पहल बनी परिवर्तन की आधारशिला
राज्य सरकार द्वारा संचालित बिहार ट्रांसफॉर्मेटिव डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (BTDP) और जीविका जैसी योजनाओं ने महिला किसानों को आर्थिक सशक्तिकरण की मुख्यधारा में शामिल किया है। इन योजनाओं के माध्यम से डेयरी, मुर्गी पालन, बकरी पालन और सब्जी उत्पादन जैसे क्षेत्रों में महिला नेतृत्व वाले FPO का तेजी से विकास हुआ है।
चेरिया बरियारपुर FPC: महिला नेतृत्व का उदाहरण
खगड़िया जिले की चेरिया बरियारपुर फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण है। इस कंपनी में 564 किसान शेयरहोल्डर हैं, जिनमें से 50% महिलाएं हैं। यह संस्था न केवल कृषि उत्पादन में सहभागिता बढ़ा रही है, बल्कि निर्णय लेने, बाजार प्रबंधन और वित्तीय नियोजन में भी महिलाओं की भूमिका को सुदृढ़ कर रही है।
महिला उद्यमिता को मिला वित्तीय और तकनीकी संबल
समुन्नति जैसे संगठनों के SAFAL (Samunnati Farmer Loan) कार्यक्रम और जीविका के समन्वय से कई महिलाओं ने कृषि आधारित सूक्ष्म उद्यम शुरू किए हैं। उदाहरण के लिए, नूतन देवी ने SAFAL के तहत ऋण प्राप्त कर जर्सी गाय खरीदी और प्रतिदिन 250 लीटर दूध का उत्पादन शुरू किया, जिससे उन्हें प्रति वर्ष 20–30 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो रही है।
इसी तरह शांति देवी ने आधुनिक कृषि तकनीकों के जरिये धान की उत्पादन लागत में 15% की कमी लाकर मुनाफे में वृद्धि की है।
महिला नेतृत्व, बिहार की नई पहचान
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला सशक्तिकरण नीति, खासकर कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में, बिहार को राष्ट्रीय स्तर पर एक आदर्श राज्य के रूप में स्थापित कर रही है। महिला नेतृत्व वाले FPO राज्य की आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक संरचना में बदलाव ला रहे हैं। अब महिलाएं सिर्फ लाभार्थी नहीं, बल्कि परिवर्तन की सूत्रधार बन चुकी हैं।