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भारत के 52वें CJI बने जस्टिस बीआर गवई, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

अपने न्यायिक करियर के दौरान जस्टिस गवई कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं, जिनमें केंद्र सरकार की नोटबंदी को वैध ठहराना और हाल ही में चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करना शामिल है।

Published: 12:54pm, 14 May 2025

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने आज भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। जस्टिस गवई ने निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना का स्थान लिया, जिनका कार्यकाल 13 मई को समाप्त हुआ। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस गवई का नाम सबसे आगे था, जिसके चलते जस्टिस खन्ना ने 16 अप्रैल को उनकी नियुक्ति की सिफारिश की थी।

जस्टिस गवई का कार्यकाल लगभग सात महीने का होगा और वे 23 नवंबर 2025 को 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होंगे। 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्मे जस्टिस गवई ने 1985 में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की। उन्होंने 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की और 1992 में नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील नियुक्त हुए। 2003 में वे बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने और 2005 में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। 24 मई 2019 को वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।

जस्टिस गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं। उनसे पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन 2007 में पहले दलित CJI बने थे। जस्टिस गवई कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे, जिनमें 2016 की नोटबंदी को वैध ठहराना, चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करना, और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखना शामिल है।

उनके बाद वरिष्ठता में जस्टिस सूर्यकांत हैं, जिन्हें 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए जाने की संभावना है।

YuvaSahakar Desk

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