
बलिनी ग्रुप ने झांसी में 40 हजार लीटर दूध की क्षमता वाला अत्याधुनिक चिलर प्लांट स्थापित किया है, जिसका उद्घाटन केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री ने किया।
देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी किस तरह क्रांति ला सकती है, इसका बेहतरीन उदाहरण बनकर उभरा है बलिनी ग्रुप। झांसी की यह महिला डेयरी संस्था अब सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि उत्तर भारत के डेयरी सेक्टर की एक मजबूत पहचान बन चुकी है। 80 हजार से अधिक महिलाओं को आत्मनिर्भर बना चुका बलिनी ग्रुप अब गांव-गांव से दूध एकत्र करने, उसके संग्रहण और प्रोसेसिंग के क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
गांव-गांव से दूध इकट्ठा कर इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले इस ग्रुप ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। बलिनी ग्रुप ने झांसी में 40 हजार लीटर दूध की क्षमता वाला अत्याधुनिक चिलर प्लांट स्थापित किया है, जिसका उद्घाटन केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री ने किया। इस मौके पर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के चेयरमैन डॉ. मीनेश शाह और केंद्रीय पशुपालन व डेयरी सेक्रेटरी अलका उपाध्याय भी उपस्थित रहीं।
चिलर प्लांट: दूध की गुणवत्ता और आय में इजाफा
बलिनी ग्रुप की महिलाओं ने बताया कि इस नए चिलर प्लांट से अब ज्यादा गांवों से दूध इकट्ठा करना संभव होगा। इसकी मदद से दूध को तुरंत ठंडा किया जा सकेगा, जिससे इसकी गुणवत्ता बरकरार रहेगी। दूध की शेल्फ लाइफ बढ़ने से ट्रांसपोर्ट के दौरान खराब होने की आशंका भी कम हो जाएगी। इतना ही नहीं, यह प्लांट स्थानीय स्तर पर दूध से अन्य उत्पाद जैसे दही, पनीर और घी बनाने का अवसर भी देगा, जिससे महिलाओं की आय में और वृद्धि होगी। बलिनी ग्रुप की एक सदस्य शांति देवी ने कहा, “यह प्लांट हमारे लिए नई उम्मीद है। अब हम ज्यादा दूध इकट्ठा कर सकेंगे और बेहतर कीमत पा सकेंगे।”
समारोह में दिखा बलिनी का दम
उद्घाटन समारोह में बलिनी ग्रुप ने अपने कार्यों की झलक पेश की। इस दौरान कृत्रिम गर्भाधान (AI) गतिविधियों, FPO के तहत चारा उत्पादन, बलिनी घी, स्वचालित मिल्क डिस्पेंसर मशीन, मिनरल मिक्सचर, संतुलित आहार (Balanced Ration), और एथनो वेटरनरी मेडिसिन (EVM) के स्टॉल लगाए गए। इन स्टॉलों के जरिए ग्रुप ने अपनी तकनीकी और नवाचार क्षमता का प्रदर्शन किया, जिसे उपस्थित अधिकारियों ने खूब सराहा।
मदर डेयरी के साथ नई साझेदारी
एनडीडीबी के चेयरमैन डॉ. मीनेश शाह ने बलिनी ग्रुप की मेहनत को सलाम करते हुए एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि बलिनी जैसे संगठनों को अपने प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने की दिशा में काम करना चाहिए। इसके लिए एनडीडीबी की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी मदर डेयरी उनकी मदद करेगी। बलिनी के उत्पादों को मदर डेयरी के ब्रांड के तहत बाजार में उतारा जाएगा, जिससे उन्हें बेहतर कीमत मिलेगी। डॉ. शाह ने भविष्य में फल, सब्जियां, और दलहन जैसे उत्पादों को भी मदर डेयरी के प्लेटफॉर्म के जरिए बेचने की संभावनाएं तलाशने की बात कही। इससे न केवल बलिनी ग्रुप की आय बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय किसानों को भी नए अवसर मिलेंगे।
बच्चों की शिक्षा पर जोर
केंद्रीय पशुपालन और डेयरी सेक्रेटरी अलका उपाध्याय ने बलिनी ग्रुप की 80 हजार महिलाओं की तारीफ की और कहा कि 600 करोड़ रुपये के टर्नओवर के साथ इस संगठन ने महिलाओं की ताकत का शानदार उदाहरण पेश किया है। उन्होंने बताया कि बलिनी ग्रुप की नींव राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत रखी गई थी, और आज यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुका है। अलका उपाध्याय ने महिलाओं को सलाह दी कि वे अपनी कमाई का एक हिस्सा बच्चों की शिक्षा और समझदारीपूर्ण निवेश पर खर्च करें। उन्होंने पारंपरिक डेयरी कारोबार से आगे बढ़कर नए क्षेत्रों में कदम रखने का सुझाव दिया। उन्होंने गुजरात की बनास डेयरी का उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह आलू आधारित उद्योगों में नवाचार से आय बढ़ाई जा सकती है।
बलिनी की कहानी: मेहनत और आत्मविश्वास का प्रतीक
बलिनी ग्रुप की शुरुआत कुछ महिलाओं के छोटे-छोटे प्रयासों से हुई थी, लेकिन आज यह 80 हजार महिलाओं का एक सशक्त समूह बन चुका है। यह संगठन न केवल डेयरी सेक्टर में अपनी पहचान बना रहा है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का माध्यम भी बन गया है। चिलर प्लांट की स्थापना से बलिनी ग्रुप की पहुंच और क्षमता में इजाफा होगा, जिसका सीधा लाभ झांसी और आसपास के गांवों की महिलाओं को मिलेगा।