
IMF ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि को स्थिरता देने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लागू किए गए नीतिगत सुधारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
भारत की अर्थव्यवस्था ने पिछले एक दशक में वह कर दिखाया है, जो दुनिया की तमाम बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भी नहीं कर पाईं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की जीडीपी के 2015 से 2025 के बीच दोगुनी होकर 2.1 लाख करोड़ डॉलर से 4.3 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह 105 फीसदी की शानदार वृद्धि है, जो अमेरिका (66%) और चीन (76%) जैसी महाशक्तियों को भी पीछे छोड़ देती है। इस तेज रफ्तार के साथ भारत अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
भारत का शानदार प्रदर्शन, आंकड़े बता रहे कहानी
IMF के आंकड़े भारत की इस सफलता को साफ तौर पर बयां करते हैं। साल 2015 में जहां भारत की जीडीपी 2.1 लाख करोड़ डॉलर थी, वहीं 2025 में इसके 4.3 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। दूसरी ओर, अमेरिका की जीडीपी इसी अवधि में 18.3 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 30.3 लाख करोड़ डॉलर होगी, जो 66 फीसदी की वृद्धि दिखाती है। वहीं, चीन की अर्थव्यवस्था 11.1 लाख करोड़ डॉलर से 19.5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचेगी, जिसमें 76 फीसदी का इजाफा होगा। लेकिन भारत की 105 फीसदी की छलांग इन दोनों को पछाड़ते हुए उसकी मजबूत स्थिति को रेखांकित करती है।
IMF की रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि भारत 2025 में जापान को पीछे छोड़ देगा, जिसकी जीडीपी पिछले दशक में स्थिर रही है। इसके बाद 2027 तक जर्मनी को पछाड़कर भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। यह उपलब्धि भारत के लिए गर्व का विषय है और वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती साख को दर्शाती है।
IMF ने की भारत की तारीफ, दिए सुझाव
इस महीने की शुरुआत में IMF के कार्यकारी बोर्ड ने भारत की आर्थिक नीतियों की जमकर सराहना की। बोर्ड ने कहा कि भारत का यह मजबूत प्रदर्शन उसे 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की राह पर ले जा सकता है। हालांकि, IMF ने कुछ सुझाव भी दिए। उसका मानना है कि भारत को श्रम बाजार में सुधार और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। इससे न सिर्फ उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियां पैदा होंगी, बल्कि आर्थिक विकास को और गति मिलेगी।
वैश्विक परिदृश्य में भारत की स्थिति
अगर वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं से तुलना करें, तो भारत का प्रदर्शन और भी प्रभावशाली लगता है। पिछले दशक में ब्रिटेन की जीडीपी में 28 फीसदी, फ्रांस में 38 फीसदी, रूस में 57 फीसदी, ऑस्ट्रेलिया में 58 फीसदी और स्पेन में 50 फीसदी की वृद्धि हुई। लेकिन भारत की 105 फीसदी की बढ़ोतरी इन सभी को मीलों पीछे छोड़ देती है। जापान, जो कभी आर्थिक महाशक्ति था, पिछले 10 सालों में अपनी जीडीपी में कोई बढ़ोतरी नहीं कर पाया। ऐसे में भारत के लिए चौथा स्थान हासिल करना अब बस समय की बात है।
क्या है भारत की इस सफलता का राज?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की इस आर्थिक उड़ान के पीछे कई कारण हैं। डिजिटलीकरण, नीतिगत सुधार, वित्तीय समावेशन और बुनियादी ढांचे में निवेश ने इस वृद्धि को संभव बनाया है। अर्थशास्त्री पंकज जायसवाल कहते हैं, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 सालों में भारत ने अभूतपूर्व प्रगति की है। वित्तीय समावेशन ने उन लोगों को औपचारिक अर्थव्यवस्था से जोड़ा, जो पहले इससे बाहर थे। डिजिटलीकरण ने इसमें बड़ा योगदान दिया।”
वहीं, अर्थशास्त्री शरद कोहली ने इस सफलता का श्रेय मोदी सरकार की नीतियों को दिया। उन्होंने कहा, “कृषि, फिनटेक, शासन, विनिर्माण और बुनियादी ढांचे में हुए सुधारों ने भारत को इस मुकाम तक पहुंचाया। यह सरकार की दूरदर्शी नीतियों का नतीजा है।”
भविष्य की राह और चुनौतियां
IMF की रिपोर्ट और विशेषज्ञों की राय से साफ है कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना, श्रम बाजार को और लचीला बनाना और समावेशी विकास सुनिश्चित करना भारत के सामने बड़ी जिम्मेदारियां हैं। अगर इन पर ध्यान दिया जाए, तो 2047 तक भारत का विकसित अर्थव्यवस्था बनना तय है।
फिलहाल, भारत की यह आर्थिक सफलता न सिर्फ देशवासियों के लिए गर्व की बात है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी एक मिसाल कायम कर रही है। आने वाले सालों में भारत का यह सुनहरा सफर और कितने कीर्तिमान स्थापित करेगा, यह देखना रोमांचक होगा।