
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को सचिवालय में कृषि, उद्यान और सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक की
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कृषि, उद्यान और सहकारिता विभागों की समीक्षा बैठक में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने राज्य में कृषि क्षेत्र को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए आधुनिक तकनीक के साथ परंपरागत खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। CM धामी ने कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह समन्वय अत्यंत आवश्यक है।
सहकारिता विभाग की समीक्षा में मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में लोगों को उचित प्रशिक्षण दिया जाए। किसानों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए वैल्यू चेन सिस्टम को मजबूत किया जाए। किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बढ़ाने और उनकी आय में वृद्धि के प्रयास हों। अगले पांच साल में सभी ग्राम सभाओं को पैक्स से जोड़ा जाए। सहकारी समितियों में व्यावसायिक गतिविधियों और विपणन के लिए मजबूत व्यवस्था की जाए।
कृषि और उद्यान विभाग की समीक्षा में मुख्यमंत्री ने नवाचार पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के लिए क्लस्टर आधारित खेती को बढ़ावा दिया जाए। मिलेट्स के उत्पादन में तेजी लाई जाए और पॉलीहाउस निर्माण में गति बढ़ाई जाए। एरोमा, एप्पल मिशन, कीवी मिशन जैसे कार्यक्रमों के साथ-साथ उत्तराखंड के पारंपरिक उत्पादों और फलों जैसे नाशपती, प्लम, माल्टा, नारंगी, आड़ू के उत्पादन को बढ़ाने पर काम हो। जंगली जानवरों से सुरक्षित फसलों और औषधीय पौधों को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को जागरूक किया जाए।
बैठक में बताया गया कि किसानों की सुविधा के लिए ई-रूपी व्यवस्था शुरू की जा रही है, जो अप्रैल के पहले सप्ताह से लागू होगी। इससे किसानों को तेज, सुरक्षित और पारदर्शी भुगतान मिलेगा, जिससे कृषि क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा। सगंध फसलों जैसे डेमस्क रोज, तिमरू, दालचीनी, लेमनग्रास और मिंट के उत्पादन को तेजी से बढ़ाया जा रहा है। उच्च मूल्य वाली इन फसलों के क्षेत्रफल और उत्पादकता पर ध्यान दिया जा रहा है। आईटीबीपी और सेना के लिए ताजा पदार्थों की बिक्री की व्यवस्था की गई है, जिससे किसानों को निश्चित बाजार और स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन मिलेगा।
यह बैठक राज्य में कृषि और सहकारिता को नई दिशा देने की दृष्टि से महत्वपूर्ण रही। मुख्यमंत्री के निर्देशों से स्पष्ट है कि सरकार का फोकस किसानों की आत्मनिर्भरता, नवाचार और आर्थिक विकास पर है। इससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि उत्तराखंड के पारंपरिक उत्पादों को भी नई पहचान मिलेगी। मुख्यमंत्री ने जोर दिया कि परंपरागत खेती को ज्ञान-विज्ञान से जोड़कर किसानों की आय बढ़ाई जाए। विभागों की योजनाओं का मूल्यांकन उनके परिणामों के आधार पर हो।