
विश्वविद्यालय का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए योग्य और प्रशिक्षित जनशक्ति प्रदान करना है।
भारत सरकार देश में सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। गुजरात के आणंद जिले में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट (IRMA) के कैंपस में नया सहकारिता विश्वविद्यालय बनेगा। इरमा पहले की तरह काम करता रहेगा। IRMA कैंपस में बनने जा रहे इस विश्वविद्यालय का नाम त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय होगा। यह विश्वविद्यालय सहकारी क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए तकनीकी और प्रबंधन शिक्षा प्रदान करेगा, साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं सहित सभी भाषाओं में पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराएगा।
केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल ने लोकसभा में द्रमुक सांसद डीएम काथिर आनंद के सवाल के जवाब में बताया कि त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय में नए लोगों को प्रशिक्षण देने के साथ-साथ सहकारी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों के कौशल विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा।
वहीं, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विश्वविद्यालय “सहकार से समृद्धि” के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए बनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य सहकारी क्षेत्र के लिए योग्य और प्रशिक्षित जनशक्ति तैयार करना, सहकारी समितियों के कर्मचारियों और बोर्ड सदस्यों की क्षमता बढ़ाना, सहकारी अनुसंधान को प्रोत्साहन देना और वैश्विक उत्कृष्टता के मानकों को हासिल करना है।
अमित शाह ने बताया कि विश्वविद्यालय का संचालन एक शासी बोर्ड के जरिए होगा, जिसकी अध्यक्षता कुलाधिपति करेंगे। इसके अलावा, कुलपति की अध्यक्षता में एक कार्यकारी परिषद होगी, जो मुख्य कार्यकारी निकाय के रूप में काम करेगी। विश्वविद्यालय में डेयरी, मत्स्य पालन, ग्रामीण ऋण और सहकारी वित्त जैसे क्षेत्रों के लिए विशेष स्कूल स्थापित किए जाएंगे। प्रत्येक स्कूल का नेतृत्व एक डीन करेंगे, जो शैक्षणिक और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभालेंगे। साथ ही, हर स्कूल में एक सहकारी अध्ययन बोर्ड होगा।
यह विश्वविद्यालय आधुनिक तकनीक और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म का उपयोग कर शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देगा। यह संबद्ध सहकारी संस्थानों और प्रशिक्षण केंद्रों की शैक्षणिक व अनुसंधान गतिविधियों को एकीकृत और मानकीकृत करने वाला शीर्ष निकाय भी होगा।
सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद केंद्र सरकार ने सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) के माध्यम से सहकारी शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देना शामिल है। त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय इसी दिशा में एक बड़ा कदम है, जो सहकारी शिक्षा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और देश में सहकारिता आंदोलन को गति प्रदान करेगा।