
पशुओं को चार प्रमुख बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को घर-घर जाकर सहायता दी जाएगी। इसके लिए मोबाइल वेटनरी वैन की सुविधा को बढ़ाया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इसके तहत जन औषधि केंद्रों की तर्ज पर पशु औषधि योजना शुरू की जाएगी, जिसके लिए 75 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।
इस योजना से पशुपालकों को फायदा होगा। दुधारू पशुओं को मुंहपका, खुरपका, लम्पी या अन्य रोग हो जाने से उनकी दूध उत्पादन क्षमता घट जाती है। इससे किसानों को दोहरा नुकसान होता है। एक तो उनका इलाज कराने पर खर्च करना होता है, दूसरा, उत्पादन घटने से दूध से होने वाली उनकी कमाई पर भी असर पड़ता है।
पशुओं को चार प्रमुख बीमारियों—खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रुमिनेंट्स (पीपीआर), और सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (सीएसएफ)—से बचाने के लिए किसानों को घर-घर सहायता मिलेगी। इसके लिए मोबाइल वेटनरी वैन की सुविधा बढ़ाई जाएगी। खासतौर पर एफएमडी और ब्रुसेलोसिस की रोकथाम के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। वैष्णव ने कहा कि टीकाकरण से पशुधन स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और 9 राज्य—पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र—एफएमडी मुक्त घोषित होने को तैयार हैं।
एलएचडीसीपी के लिए 2024-25 और 2025-26 के लिए 3,880 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। पशु औषधि योजना इसका नया घटक है, जो सस्ती जेनेरिक दवाओं की बिक्री को बढ़ावा देगी। ये दवाएँ पीएम किसान समृद्धि केंद्र और सहकारी समितियों के जरिए पशुपालकों तक पहुँचेंगी। कार्यक्रम के तीन हिस्से हैं—राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी), पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण (एलएच एंड डीसी), और पशु औषधि। यह योजना टीकाकरण के जरिए एफएमडी, ब्रुसेलोसिस, पीपीआर, सीएसएफ, और लम्पी स्किन डिजीज जैसी बीमारियों को रोकने पर केंद्रित है।
मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (ईएसवीएचडी-एमवीयू) के माध्यम से पशुओं के इलाज की घर-घर डिलीवरी को भी प्रोत्साहन मिलेगा। यह कदम पशुपालकों के लिए सुलभ और किफायती स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करेगा, जिससे पशुधन की उत्पादकता बढ़ेगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी।