
इस केंद्रीय योजना के अंतर्गत 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का सफल गठन कृषि क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बिहार के भागलपुर में आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की 19वीं किस्त जारी की। इस अवसर पर उन्होंने खगड़िया जिले में पंजीकृत देश के 10,000वें किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) का भी उद्घाटन किया। यह एफपीओ मक्का, केला और धान की खेती पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री ने कहा कि एफपीओ केवल संगठन नहीं हैं, बल्कि ये किसानों की आय बढ़ाने और छोटे किसानों को बाजार में बेहतर मोल-भाव की शक्ति, बाजार पहुंच और आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण मंच हैं।
बता दें कि देश भर में करीब 30 लाख किसान एफपीओ से जुड़े हैं, जिनमें से लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं हैं। ये एफपीओ अब कृषि क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपये का कारोबार कर रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ने 29 फरवरी, 2020 को “10 हजार किसान उत्पादक संगठनों (FPO) के गठन और संवर्धन” के लिए केंद्रीय योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का लक्ष्य वर्ष 2027-28 तक 6,865 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ देश भर में 10,000 एफपीओ स्थापित करना था, जो समय से पहले ही हासिल कर लिया गया है। यह योजना छोटे और सीमांत किसानों को एकजुट कर उनकी सामूहिक शक्ति को बढ़ाने और कृषि उत्पादन को लाभकारी बनाने पर केंद्रित है।
इस योजना के अंतर्गत गठित प्रत्येक नए एफपीओ को पांच साल की अवधि के लिए हैंडहोल्डिंग समर्थन और योजना के अंतर्गत प्रत्येक एफपीओ को 3 साल के लिए प्रबंधन लागत के लिए 18 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त एफपीओ के प्रत्येक किसान सदस्य को 2,000 रुपए का प्रतिभूति अनुदान दिया जाएगा, जिसकी सीमा प्रति एफपीओ 15.00 लाख रुपये होगी और एफपीओ की संस्थागत ऋण पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पात्र ऋणदाता संस्थानों से प्रति एफपीओ 2 करोड़ रुपये तक के परियोजना ऋण की गारंटी सुविधा दी जाएगी।
एफपीओ क्या हैं?
किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) कंपनी अधिनियम के भाग IXA या राज्य सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत संगठन हैं, जिनका गठन कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में उत्पादन और विपणन के लिए पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का लाभ उठाने के उद्देश्य से किया जाता है। एफपीओ की अवधारणा यह है कि किसान, जो कृषि उत्पादों के उत्पादक हैं, समूह बनाकर अपनी स्थिति मजबूत करें। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए कृषि मंत्रालय के तहत लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ (एसएफएसी) को राज्य सरकारों के साथ मिलकर एफपीओ गठन में सहायता के लिए अधिकृत किया गया है।
योजना का उद्देश्य
“10,000 एफपीओ के गठन और संवर्धन” योजना का मुख्य लक्ष्य उत्पादन और विपणन में पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का उपयोग करना है। यह कुशल, लागत प्रभावी और टिकाऊ संसाधन उपयोग के जरिए उत्पादकता बढ़ाने, स्थायी आय-उन्मुख खेती को बढ़ावा देने, उत्पादन लागत को कम करने और किसानों की आय में वृद्धि करने पर केंद्रित है। यह योजना ग्रामीण भारत में कृषि को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
एफपीओ की सेवाएं और गतिविधियां
एफपीओ अपने सदस्यों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण सेवाएं और गतिविधियां संचालित करते हैं, जैसे:
कम लागत पर इनपुट उपलब्धता: बीज, उर्वरक, कीटनाशक जैसे गुणवत्तापूर्ण उत्पादन इनपुट थोक दरों पर उपलब्ध कराना।
मशीनरी और उपकरण: कस्टम हायरिंग के आधार पर कल्टीवेटर, टिलर, स्प्रिंकलर सेट, कंबाइन हार्वेस्टर जैसी मशीनरी प्रदान करना, जिससे प्रति इकाई उत्पादन लागत कम हो।
मूल्य संवर्धन सेवाएं: सफाई, छंटाई, ग्रेडिंग, पैकिंग और भंडारण जैसी सुविधाएं सस्ती दरों पर उपलब्ध कराना।
उच्च आय वाली गतिविधियां: बीज उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देना
उपज का एकत्रीकरण और विपणन: छोटे समूहों की उपज को एकत्र कर मूल्यवर्धन के साथ बाजार में बेचना।
बाजार जानकारी: उत्पादन और विपणन के लिए सटीक बाजार जानकारी प्रदान करना।
रसद सेवाएं: भंडारण, परिवहन, लोडिंग-अनलोडिंग जैसी सुविधाएं साझा लागत पर देना।
बेहतर कीमत के लिए विपणन: खरीदारों और विपणन माध्यमों के साथ संवाद कर लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना।
यह योजना और एफपीओ का विस्तार भारतीय कृषि को नई ऊंचाइयों पर ले जाने और किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।