
सेफी ने ये भी आरोप लगाया है कि SAIL के निर्वाचित बोर्ड का कार्यकाल 30 सितंबर 2024 को खत्म हो चुका है, लेकिन इसके बाद भी अभी तक नए चुनाव नहीं कराए गए हैं
स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया (SEFI) ने सेल (Sail) एम्पलाइज कॉपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी, कोलकाता में लगभग 200 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं और प्रशासनिक खामियों का आरोप लगाया है। इस मामले ने सेल (Steel Authority of India Limited) के कर्मचारियों और पूर्व कर्मचारियों के बीच हड़कंप मचा दिया है, क्योंकि इस सोसाइटी (Steel Authority of India Employees Co-operative Credit Society Limited) में उनके द्वारा जमा की गई राशि खतरे में पड़ गई है। सेफी (STEEL EXECUTIVES FEDERATION OF INDIA) के चेयरमैन नरेंद्र कुमार बंछोर और वाइस प्रेसिडेंट नरेंद्र सिंह ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है और केंद्र सरकार से त्वरित हस्तक्षेप की मांग की है।
सेल एम्पलाइज कॉपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी में लगभग 2000 सेल के वर्तमान व पूर्व कार्मिक सदस्य हैं, जिसमें मुख्यतः सीएमओ, कोलकाता तथा सेल कॉरपोरेट ऑफिस के कार्मिक शामिल है। सेफी का दावा है कि इस सोसाइटी में पिछले 12 महीनों से वित्तीय और प्रशासनिक संकट गहरा गया है। आरोप है कि भारी अनियमितताओं के कारण सदस्यों के 200 करोड़ रुपये फंस गए हैं, जिससे उनकी बकाया राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
इसके अलावा, सेफी ने ये भी आरोप लगाया है कि सोसाइटी के निर्वाचित बोर्ड का कार्यकाल 30 सितंबर 2024 को खत्म हो चुका है, लेकिन इसके बाद भी अभी तक नए चुनाव नहीं कराए गए हैं और पुराना बोर्ड अभी भी प्रबंधन पर काबिज है। इससे प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी और गड़बड़ियों की आशंका बढ़ गई है।
सेफी ने इस समस्या के समाधान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप और प्रभावित कर्मचारियों को न्याय दिलाने की गुहार लगाई है। इसके साथ ही, सेफी ने केंद्रीय सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) और अपर सचिव रविंद्र कुमार अग्रवाल से मुलाकात कर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। सेफी ने मांग की है कि भारत सरकार सोसाइटी के चुनाव 30 दिनों के भीतर करवाने के लिए निर्देश जारी करे, ताकि प्रबंधन में सुधार और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
सेफी ने सेल के उच्च प्रबंधन से भी सहयोग मांगा है। संगठन का सुझाव है कि जब तक सोसाइटी की अनियमितताओं का समाधान नहीं हो जाता और नया बोर्ड निर्वाचित नहीं हो जाता, तब तक कर्मचारियों से अंशदान और ऋण की कटौती को इस सोसाइटी में जमा न किया जाए। इससे आगे की गड़बड़ियों को रोकने में मदद मिल सकती है। सेफी का मानना है कि यह कदम कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए जरूरी है।
इसके अतिरिक्त, सेफी के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय सहकारी समितियों के उपायुक्त जितेंद्र नागर से मंत्रालय में मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में नरेंद्र कुमार बंछोर, नरेंद्र सिंह, संजय आर्या और आर सतीश कुमार शामिल थे। उन्होंने इस मामले की गंभीरता को रेखांकित करते हुए त्वरित कार्रवाई की मांग की, ताकि प्रभावित 2000 कर्मचारियों को राहत मिल सके और उनकी जमा पूंजी डूबने से बचाई जा सके।
यह मामला सेल कर्मचारियों के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि उनकी मेहनत की कमाई खतरे में है। सेफी का प्रयास है कि सरकार और सेल प्रबंधन मिलकर इस संकट का समाधान करें, ताकि सोसाइटी में पारदर्शी और जवाबदेह प्रबंधन स्थापित हो सके। इस घटना ने सहकारी समितियों में वित्तीय प्रबंधन और निगरानी की जरूरत को भी उजागर किया है।