
डेयरी उद्योग के विकास से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
- राज्य सरकार पशुपालन को बना रही समृद्ध ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़, किसानों की आय दोगुनी करने के लिए उठाए जा रहे ठोस कदम
- राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के मार्गदर्शन में तैयार हुआ पायलट प्रोजेक्ट, डेयरी उद्योग को मिलेगी नई दिशा
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) सरकार जनजातीय राज्य को डेयरी उत्पादन (Dairy production) में आत्मनिर्भर बनाने की योजना पर कार्य कर रही है। CM विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में श्वेत क्रांति (White Revolution) की तर्ज पर डेयरी उद्योग (Dairy Sector) को सशक्त बनाने और किसानों (Farmers) व पशुपालकों की आय दोगुनी करने की दिशा में राज्य सरकार ने प्रभावी कदम उठाए हैं। प्रदेश को दुग्ध उत्पादन (Milk Production) में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के सहयोग से एक पायलट प्रोजेक्ट भी तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि डेयरी उद्योग के विकास से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। इसके साथ ही, प्रदेशवासियों के पोषण स्तर में भी सुधार होगा, जिससे बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव आएगा। इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी और हमारा अन्नदाता खुशहाल जीवन जिएगा।
CM साय ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ, प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता में वृद्धि और सरप्लस दूध के उपयोग को लेकर ठोस कार्य योजना तैयार की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि दूध उत्पादन से जुड़े किसानों और पशुपालकों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए ताकि वे आधुनिक तकनीकों को अपनाकर अपनी आय को बढ़ा सकें।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के चेयरमैन श्री मिनिष शाह ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में प्रतिदिन 58 लाख किलोग्राम दूध का उत्पादन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य दुग्ध संघ की कार्यप्रणाली का गहन अध्ययन करने के बाद, दुग्ध उत्पादन और मार्केटिंग को बढ़ाने के लिए एक व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई है।
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के बीच दिसंबर 2024 में समझौता हुआ था, जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ में डेयरी विकास के माध्यम से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हेतु तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में सहकारी समितियों के माध्यम से पशुपालकों को आधुनिक तकनीक और मशीनों से दूध की गुणवत्ता जांच और तत्काल भुगतान की सुविधा प्रदान की जाएगी। बायोगैस और बायो-फर्टिलाइजर प्लांट की स्थापना से पशुपालकों की अतिरिक्त आय के स्रोत बढ़ेंगे, जिससे पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहेगा।