
केंद्र सरकार की सहकारिता से समृद्धि योजना के तहत पैक्स को बहुउद्देश्यीय बनाने की प्रक्रिया चल रही है।
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में अब प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां (Cooperative Societies) पैक्स (PACS) जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा देने का काम भी करेंगी। केंद्र सरकार (Central Government) की सहकार से समृद्धि (Sahkar se Samriddhi) योजना के तहत पैक्स को बहुउद्देश्यीय बनाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके तहत प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए इनका उपयोग किया जाएगा। इनके सदस्य न केवल खुद जैविक खेती करेंगे बल्कि अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे।
सहकारी समितियां उनके उत्पादों की खरीदी-बिक्री का भी काम करेंगी। इससे उन्हें अपनी जैविक फसलें बेचने में परेशानी नहीं होगी। पैक्स शहरों में जैविक उत्पादों के स्टोर भी खोलेंगी ताकि लोगों को जैविक उत्पाद आसानी से उपलब्ध हो सकें।
बता दें कि प्रदेश में अभी तक 4536 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां हैं, जिनसे 50 लाख किसान जुड़े हैं। इसे देख समितियों को राज्य जैविक सहकारी महासंघ का सदस्य बनाया जा रहा है। समिति के सदस्यों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। सहकारिता आयुक्त मनोज पुष्प ने बताया कि समितियां किसानों को जैविक खाद बीज उपलब्ध कराएंगी, किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण देंगी, साथ ही उत्पाद की ब्रांडिंग और मार्केटिंग का काम भी देखेंगी।
अभी सबसे बड़ी समस्या जैविक उत्पादन के विपणन की है। यही कारण है कि किसान जैविक खेती करने से बचते हैं. समितियां उन्हें बाजार उपलब्ध कराएंगी और खुद भी खाद खरीदेंगी। कुछ समितियों को जैविक खाद बनाने के काम में भी लगाया जाएगा. इसके लिए गोबरधन योजना से जोड़ा जा रहा है। पशुपालन विभाग गौशालाओं से गोबर, गौमूत्र खरीदने और खाद बनाने की योजना पर काम कर रहा है।
रकबा दोगुना करने का लक्ष्य
प्रदेश में अभी जैविक खेती का रकबा लगभग 17 लाख हेक्टेयर है। जैविक उत्पादन भी लगभग 20 लाख है. इसे और विस्तार देने के लिए सरकार ने जैविक कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि उद्यानिकी के साथ सहकारिता विभाग से जोड़ा है। सरकार जैविक खेती का रकबा दोगुना करना चाहती है, साथ ही इसके निर्यात को भी बढ़ाना चाहती है।