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Economic Survey: ग्रामीण विकास में सहकारी समितियों की बढ़ती भूमिका सराहनीय

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सहकारी समितियां लंबे समय से किसानों और छोटे उद्यमियों को ऋण और वित्तीय सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

सर्वेक्षण में प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) के लिए मॉडल बायलॉंज लागू करने की पहल को प्रमुखता से दर्शाया गया है।


Published: 17:53pm, 31 Jan 2025

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में सहकारी समितियों की परिवर्तनकारी भूमिका को उजागर किया गया है। इन्हें वित्तीय समावेशन, ग्रामीण विकास और सामुदायिक सशक्तिकरण के महत्वपूर्ण इंजन के रूप में पहचाना गया है। कृषि, बैंकिंग, आवास और महिला कल्याण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में इनकी मजबूत उपस्थिति है। सरकार इन्हें आधुनिक बनाने और उनके संचालन को बढ़ाने के लिए कई पहल कर रही है।

ग्रामीण भारत की रीढ़ को मजबूत बनाना

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सहकारी समितियां लंबे समय से किसानों और छोटे उद्यमियों को ऋण और वित्तीय सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ये लोग पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं तक आसानी से नहीं पहुंच पाते थे। इनकी इस महत्ता को समझते हुए भारत सरकार ने सहकारी क्षेत्र को आधुनिक और मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।

सर्वेक्षण में प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) के लिए मॉडल बायलॉंज लागू करने की पहल को प्रमुखता से दर्शाया गया है। ये नए दिशानिर्देश PACS के संचालन को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने में मदद करेंगे। इसके अलावा, सरकार PACS के कंप्युटराइज़ेशन को भी बढ़ावा दे रही है, जिससे उनकी पारदर्शिता और पहुंच में सुधार होगी।

सहकारी समितियों का विस्तार

पारंपरिक कृषि ऋण से आगे बढ़ते हुए सरकार नए मल्टी-पर्पज़ PACS, खासकर डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना को प्रोत्साहित कर रही है ताकि ग्रामीण समुदायों की बदलती जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसके अलावा, कई PACS को कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में बदला जा रहा है ताकि ये वित्तीय सहायता के अलावा अन्य सेवाएं भी प्रदान कर सकें।

सर्वेक्षण में सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई नई पहलों का उल्लेख किया गया है। 240 PACS ने पेट्रोल और डीजल पंप चलाने के लिए आवेदन किया है, जिनमें से 39 का चयन किया जा चुका है। सर्वे में यह भी बताया गया है कि 1,723 माइक्रो-एटीएम वितरित किए गए हैं, जिससे ग्रामीण आबादी को बैंकिंग सेवाएं आसानी से मिल रही हैं। साथ ही डेयरी सहकारी समितियों के लिए रुपे किसान क्रेडिट कार्ड की पहल की गई है जिससे डेयरी किसानों और सहकारी समितियों को वित्तीय प्रबंधन में मदद हो रही है।

सहकारी क्रांति में नई उपलब्धियां

सहकारी समितियों को मजबूत बनाने की नीति ने पहले ही कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर ली हैं। 9,000 से अधिक नए PACS, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां उन पंचायतों में स्थापित की गई हैं जहां पहले ये सुविधाएं नहीं थीं। 35,293 PACS को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (PMKSK) में बदला गया है, जिससे किसानों को आवश्यक उर्वरक और कृषि सामग्री आसानी से उपलब्ध हो रही है।

भविष्य का रोडमैप

जैसे-जैसे सहकारी समितियां बहु-सेवा संस्थानों में बदल रही हैं, वे ग्रामीण आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। सरकार का डिजिटलाइजेशन, वित्तीय समावेशन और क्षेत्रीय विविधीकरण को बढ़ावा देने का निरंतर प्रयास इस आंदोलन को और मजबूत करेगा।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 इस बात को रेखांकित करता है कि ये पहल केवल नीतिगत उपाय नहीं हैं, बल्कि ये आत्मनिर्भर, वित्तीय रूप से समावेशी और सशक्त ग्रामीण भारत के लिए एक दृष्टि का हिस्सा हैं। सहकारी क्षेत्र आर्थिक विकास का एक प्रमुख कारक बनकर उभर सकता है और देश के हर कोने तक समृद्धि पहुंचा सकता है।

YuvaSahakar Desk

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