हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने राज्य की सहकारी चीनी मिलों को लेकर बड़े दिशा निर्देश जारी किए हैं. CM सैनी ने कहा है कि प्रदेश की सभी सहकारी चीनी मिलों में “जैव ईंधन ब्रिकेटिंग प्लांट” लगाए जाएं. इससे चीनी-मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा और इससे किसानों को भी फायदा होगा.
CM सैनी ने कहा कि जैव ईंधन ब्रिकेट से किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा क्योंकि इसे बनाने के लिए पराली या अन्य कृषि अवशेषों का इस्तेमाल होता है, जिसे किसान चीनी मिलों को बेचकर कमाई कर सकते हैं. ब्रिकेट पराली जैसी बायोमास से बनी छोटी-छोटी ईंटें या ब्लॉक होती हैं जिसे कोयले और चारकोल की जगह ईंधन के रूप में जलाया जाता है. इसका प्रयोग बड़े पैमाने पर चीनी मिलों में हो सकता है. चीनी मिलों को किसान पराली या अन्य कृषि अवशेषों को कच्चे माल के रूप में बेचकर कमाई कर सकते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कैथल सहकारी चीनी में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर जैव ईंधन ब्रिकेटिंग प्लांट लागने का काम शुरू किया जा चुका है, जिसमें बैगास की ब्रिकेट बनाकर हरियाणा के थर्मल पावर प्लाटों और अन्य उपभोक्ताओं को बेचा जा रहा है. इससे चीनी-मिल की वित्तीय स्थिति में भी काफी सुधार आया है.
मुख्यमंत्री सैनी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इसी तर्ज पर प्रदेश की अन्य सहकारी चीनी मिलों में भी “जैव ईंधन ब्रिकेटिंग प्लांट” की स्थापना की जाए. इससे चीनी-मिलों की वित्तीय स्थिति में भी सुधार आ सकेगा. उन्होंने निर्देश दिए कि सहकारी चीनी मिलों को घाटे से उभारने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं.
मुख्यमंत्री को बैठक में जानकारी दी गई कि वर्तमान पिराई सत्र 2024-25 में 13 जनवरी तक शुगरफैड से संबंधित सभी सहकारी चीनी मिलों ने कुल 113.56 लाख क्विंटल गन्ने की पिराई करते हुए औसत चीनी रिकवरी 8.70 प्रतिशत के साथ 9.18 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया है. पिछले पिराई सत्र 2023-24 में रोहतक, सोनीपत, जींद, पलवल, महम, कैथल और गोहाना सहकारी चीनी मिलों ने लगभग 7.14 लाख क्विंटल बैगास की बचत करते हुए 1630.31 लाख रुपये का अतिरिक्त राजस्व कमाया था.