सहकारिता आंदोलन को जमीनी स्तर तक सशक्त बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़े कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस (एनसीडी) के अनुसार 30 जून, 2025 तक देश की कुल 2,69,230 ग्राम पंचायतों में से 2,51,872 ग्राम पंचायतें प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) से आच्छादित हो चुकी हैं। हालांकि, अभी भी देशभर में 17,358 ग्राम पंचायतें PACS के दायरे से बाहर हैं। इसी प्रकार, डेयरी सहकारी समितियों से 1,84,387 और मत्स्य सहकारी समितियों से 2,39,710 पंचायतें अभी वंचित हैं।
सरकार ने 15 फरवरी, 2023 को एक महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी थी, जिसके अंतर्गत देश की सभी पंचायतों और गांवों को सहकारी ढांचे से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना के तहत 2 लाख बहुउद्देशीय पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी। यह योजना राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) और राज्य सरकारों के सहयोग से लागू की जा रही है। इसमें राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) जैसी योजनाओं का अभिसरण भी सुनिश्चित किया गया है।
मानक संचालन प्रक्रिया जारी
सहकारिता मंत्रालय ने 19 सितंबर, 2024 को नाबार्ड, एनडीडीबी और एनएफडीबी के साथ मिलकर एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है। इसके अंतर्गत उत्तरी और पूर्वी भारत सहित सभी राज्यों में वंचित और अल्प-सुविधा प्राप्त पंचायतों/गांवों की पहचान कर वहां नई बहुउद्देशीय सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी।
बहुस्तरीय निगरानी व्यवस्था
इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मंत्रालय ने बहुस्तरीय निगरानी व्यवस्था स्थापित की है।
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केंद्रीय स्तर पर सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रालयी समिति (IMC) गठित की गई है।
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इस पहल के समग्र कार्यान्वयन को संचालित करने के लिए सहकारिता मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय समन्वय समिति (NLCC) बनाई गई है।
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राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य सहकारी विकास समिति (SCDC) और जिला स्तर पर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला सहकारी विकास समिति (DCDC) गठित की गई है।
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साथ ही, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने जिला स्तर पर संयुक्त कार्य समितियों (JWC) का गठन किया है।
इस बहुस्तरीय तंत्र के माध्यम से सहकारी समितियों की स्थापना और संचालन की नियमित निगरानी की जा रही है, ताकि निर्धारित समयसीमा के भीतर सभी पंचायतों को सहकारी ढांचे से जोड़ा जा सके।