मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग ने 10 जुलाई को ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित आईसीएआर-सीआईएफए (केंद्रीय मीठा जल कृषि संस्थान) में राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस 2025 का आयोजन किया। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह की उपस्थिति में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत 17 नए मत्स्य पालन समूहों का शुभारंभ किया गया।
ये नए समूह पहले से सक्रिय 17 समूहों के अतिरिक्त होंगे, जिससे अब देश में मत्स्य पालन समूहों की कुल संख्या 34 हो गई है। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने देश के 11 राज्यों में लगभग 105 करोड़ रुपये की लागत से 70 परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास भी किया। ये परियोजनाएँ मत्स्य पालन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे, उत्पादन और आजीविका सुरक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। इस अवसर पर पारंपरिक मछुआरों, सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) धारकों और उभरते मत्स्य पालन स्टार्ट-अप्स को सम्मानित किया गया।
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बन चुका है और इसमें अंतर्देशीय मत्स्य पालन की भूमिका 75% है। इस क्षेत्र से 3 करोड़ से अधिक लोगों को आजीविका और पोषण प्राप्त होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने मत्स्य पालन क्षेत्र में 38,572 करोड़ रुपये का ऐतिहासिक निवेश किया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आय और रोज़गार के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
राज्य मंत्री प्रो. एस. पी. सिंह बघेल ने नीली क्रांति के तहत किसानों की आय दोगुनी करने में मत्स्य पालन की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित नई तकनीकों और बीजों की गुणवत्ता पर ज़ोर देते हुए मछुआरों को सरकार की योजनाओं से लाभ उठाने की अपील की।
राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने भारत के रिकॉर्ड 195 लाख टन मछली उत्पादन की सराहना करते हुए कहा कि पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में 105% की वृद्धि हुई है, जो मछुआरों की मेहनत का प्रमाण है।
सरकार ने समूह विकास को रणनीतिक प्राथमिकता देते हुए देश भर में 17 नए समूहों की पहचान की है। इसमें हजारीबाग का पर्ल ग्रुप, लक्षद्वीप में समुद्री शैवाल, मदुरै का सजावटी मत्स्य पालन, मध्यप्रदेश का जलाशय मत्स्य पालन, गुजरात का फिशिंग हार्बर, जम्मू-कश्मीर में ठंडे पानी की मछली, आंध्र प्रदेश में खारे पानी की खेती, अंडमान-निकोबार में टूना समूह, केरल का पर्ल स्पॉट, यूपी में पंगेशियस और सिक्किम का ऑर्गेनिक मत्स्य समूह शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, मणिपुर, नागालैंड, असम, मिजोरम, त्रिपुरा, पंजाब, राजस्थान, गोवा, लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भी क्षेत्रीय विशिष्ट समूहों की पहचान कर उनके समेकित विकास की रूपरेखा तैयार की गई है।
इन समूहों में मछुआरे, उद्यमी, SHG, JLG, FPO, प्रोसेसिंग यूनिट्स, ट्रांसपोर्टर, विक्रेता, सहकारी समितियों और स्टार्ट-अप्स को एकीकृत करेंगे। इन समूहों को सशक्त बनाने के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, नाबार्ड, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय और मत्स्य पालन विभाग के साथ सहयोग किया जाएगा। यह साझेदारी बुनियादी ढांचे, वित्तीय सहायता और बाजार संबंधों को बढ़ाने पर केंद्रित होगी।